MP Politics महाकौशल फतह के लक्ष्य पर बीजेपी का फोकस, 2018 के परिणामों से सतर्क फूंक-फूंककर रख रही कदम, पढ़ें Yashbharat.com का चुनावी खास
MP Politics मध्य प्रदेश के महाकौशल इलाके में साल 2018 के चुनाव में जहां कांग्रेस को सत्ता सीन किया था, वहीं भारतीय जनता पार्टी काफी पिछड़ गई थी। कांग्रेस की सड़क का कारण कमलनाथ के महाकौशल क्षेत्र का होना था, जिसका फायदा कांग्रेस को जमकर मिला। कांग्रेस ने महाकौशल में बड़ी बढ़त लेकर 15 साल बाद मध्यप्रदेश में सत्ता हासिल की थी। इसी वजह से इस बार बीजेपी का महाकौशल पर खास फोकस है।
17 अगस्त को घोषित पार्टी के 39 उम्मीदवारों की पहली सूची में सबसे ज्यादा 11 कैंडिडेट इसी इलाके की हारी हुई सीटों के है। महाकौशल का राजनीतिक समीकरण समझने से पहले जान लेते है कि बीजेपी ने यहां की किन सीटों पर सबसे पहले अपना उम्मीदवार घोषित कर उन्हें बड़ा टास्क दिया है। महाकौशल क्षेत्र के जबलपुर जिले की जबलपुर पूर्व (अजा) से पूर्व मंत्री अंचल सोनकर और बरगी से पूर्व विधायक प्रतिभा सिंह के पुत्र नीरज ठाकुर, कटनी जिले की बड़वारा (अजजा) से धीरेंद्र सिंह, डिंडौरी जिले की शहपुरा (अजजा) से ओमप्रकाश धुर्वे, मंडला जिले की बिछिया (अजजा) से डॉ. विजय आनंद मरावी, बालाघाट जिले की बैहर (अजजा) से भगत सिंह नेताम और लांजी से राजकुमार कर्राए, सिवनी जिले की बरघाट (अजजा) से कमल मर्सकोले, नरसिंहपुर जिले की गोटेगांव (अजा) से महेंद्र नागेश और छिंदवाड़ा जिले के सौंसर से नानाभाऊ मोहोड़ और पांढुर्णा (अजजा) से प्रकाश उइके के नाम उम्मीदवार के तौर पर घोषित किए गए हैं।
कमलनाथ महाकौशल इलाके से आते है
कांग्रेस के दिग्गज नेता कमलनाथ मध्य प्रदेश के महाकौशल इलाके से आते है। महाकौशल में जबलपुर संभाग के आठ जिले जबलपुर, छिंदवाड़ा, कटनी, सिवनी, नरसिंहपुर, मंडला, डिंडोरी और बालाघाट आते हैं। यहां के परिणाम हमेशा ही चौकाने वाले रहे हैं. 2018 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को महाकौशल इलाके से निराशा हाथ लगी थी, इसकी बड़ी वजह आदिवासियों की नाराजगी मानी गई थी।
जबलपुर में कांग्रेस को 8 में से 4 सीट मिली थी
कांग्रेस ने कमलनाथ को सीएम का चेहरा बनाकर चुनाव लड़ा था। इससे उनके गृह जिले छिंदवाड़ा की सभी 7 सीटें कांग्रेस ने जीत ली थीं. इसी तरह महाकौशल के एपिसेंटर जबलपुर जिले में कांग्रेस को 8 में से 4 सीट मिली थी। महाकौशल के आठ जिलों की कुल 38 विधानसभा सीटों में से 24 कांग्रेस के खाते में गई थी,जबकि बीजेपी को सिर्फ 13 सीट पर संतोष करना पड़ा था, एक सीट निर्दलीय ने जीती थी। वहीं 2013 के चुनाव में बीजेपी ने 24 और कांग्रेस ने 13 सीट जीती थी। उस बार भी एक सीट निर्दलीय के खाते में गई थी।
2018 के परिणामों से सतर्क बीजेपी
साल 2018 के परिणामों ने बीजेपी के बेहद सतर्क कर दिया है। महाकौशल का किला फतह करने के लिए पार्टी ने इस बार अपने शीर्ष नेतृत्व को मैदान में उतार दिया है। पिछले तीन माह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन बार महाकौशल और आसपास के इलाकों का दौरा कर चुके है। आदिवासी वोटरों की बहुलता वाले महाकौशल में सीएम शिवराज सिंह चौहान भी लगातार चक्कर लगा रहे है।
बीजेपी और कांग्रेस का यह हो सकता गणित
पिछले दिनों ओपिनियन पोल ने भी महाकौशल क्षेत्र में बीजेपी के लिए बेहतर परिणाम का संकेत दिया था। महाकौशल इलाके के 9 जिलों की 42 सीटों का सर्वे सामने आया था, उसमें बीजेपी को 20 से 24 और कांग्रेस को 18 से 22 सीट मिलती दिख रही है। दोनों पार्टियों का वोट शेयर एक समान 43% पर टिका हुआ है। इसके बावजूद यहां से आने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी बढ़त लेती दिख रही है। बीजेपी ने महाकौशल की 11 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान करके मनोवैज्ञानिक बढ़त लेने की कोशिश भी की है।
बीजेपी ने पहली सूची में की 11 उम्मीदवारों की घोषणा
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि, बीजेपी ने चुनाव की तारीख घोषित होने से बहुत पहले ही उम्मीदवारों के नाम की घोषणा करके मास्टर स्ट्रोक मारा है। इससे न केवल कांग्रेस बल्कि बीजेपी कार्यकर्ता और आम मतदाता भी चौंक गए है। उन्होंने कहा कि पार्टी ने ग्राउंड लेवल पर कई स्तर के सर्वे के बाद महाकौशल की 11 कठिन सीटों पर उम्मीदवार घोषित करके उन्हें चुनाव की तैयारी के लिए पर्याप्त समय दिया है। पार्टी उम्मीद कर रही है कि उसका यह फैसला अच्छे परिणाम लाने में सहायक होगा।
केंद्रीय नेतृत्व का महाकौशल पर फोकस
इस बारे में पत्रकार अमित भी मानते हैं कि भाजपा महाकौशल में 2018 के चुनाव में कम हुए प्रभाव को भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे से बढ़ाने की जुगत में है। प्रधानमंत्री के जबलपुर और आसपास क्षेत्र के दौरों को इसी नजरिए से देखा जा रहा है। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में सरकार बनाने के लिए महाकौशल की 38 सीटें महत्वपूर्ण होती हैं। इनमें से अभी 24 सीटें कांग्रेस के पास हैं, जबकि भाजपा की झोली में सिर्फ 13 ही सीटें हैं जबकि एक सीट निर्दलीय है। महाकौशल में मिली इसी बढत के सहारे कांग्रेस ने मध्य प्रदेश की सत्ता हासिल की थी यही कारण है कि भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व महाकौशल क्षेत्र में विशेष फोकस कर रहा है।