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Women’s reservation bill पीएम मोदी का विजयी दांव, पक्ष विपक्ष दोनों खुश, जानिए कब कब आया महिला आरक्षण बिल

Women’s reservation bill चुनावी चर्चा के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक ऐसा दांव चला है जो उन्हें ही नहीं राज्यों के चुनावों में भी सत्ता दिला सकता है। कहा जा रहा कि पीएम मोदी ने महिला आरक्षण बिल से विजयी दांव चल दिया है। एक ऐसा दांव, जिसके माध्यम से भाजपा, 2024 के लोकसभा चुनाव में 43 करोड़ महिलाओं को साधने की तैयारी कर रही है।

ये दांव भी ऐसा है, जिसे लेकर विपक्ष भी अपनी खुशी जाहिर कर रहा है। यानी महिला आरक्षण बिल, यह ऐसा दांव है, जिसमें विपक्षी खेमें के पास नाखुशी का मौका तक नहीं है। कांग्रेस पार्टी ने लगे हाथ कह दिया कि ये तो उनके ही प्रयासों का नतीजा है। पार्टी नेता जयराम रमेश ने कहा, कांग्रेस पार्टी लंबे समय से महिला आरक्षण को लागू करने की मांग करती रही है।

17 वीं लोकसभा में जीतकर आईं 78 महिला सांसद
बता दें कि गत लोकसभा चुनाव के समय जो मतदाता सूची जारी हुई थी, उसमें महिला वोटरों की संख्या 43.2 करोड़ थी, जबकि 46.8 करोड़ पुरुष मतदाता थे। 17 वीं लोकसभा में देश भर से 78 महिला सांसद जीत कर संसद में पहुंची थी। संसद में महिलाओं की उपस्थिति 14.36 प्रतिशत है। 2014 के लोकसभा चुनाव में 62 महिलाओं ने जीत दर्ज कराई थी। अगर 1951 की बात करें तो लोकसभा में महिलाओं का प्रतिनिधित्व महज पांच प्रतिशत था। साल 2019 में यह प्रतिशत बढ़कर 14 हो गया है। कांग्रेस कार्य समिति ने पहले ही यह मांग की थी कि संसद के विशेष सत्र के दौरान महिला आरक्षण विधेयक को पारित किया जाना चाहिए।

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कांग्रेस ने महिला आरक्षण के बारे में क्या कहा? 

    • सबसे पहले राजीव गांधी ने 1989 के दौरान मई में पंचायतों और नगर पालिकाओं में महिलाओं के एक तिहाई आरक्षण के लिए संविधान संशोधन विधेयक पेश किया था। वह विधेयक लोकसभा में पारित हो गया था, लेकिन सितंबर 1989 में राज्यसभा में पास नहीं हो सका।
  • अप्रैल 1993 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने पंचायतों और नगर पालिकाओं में महिलाओं के एक तिहाई आरक्षण के लिए संविधान संशोधन विधेयक को फिर से पेश किया। दोनों विधेयक पारित हुए और कानून बन गए।
  • आज पंचायतों और नगर पालिकाओं में 15 लाख से अधिक निर्वाचित महिला प्रतिनिधि हैं। यह संख्या 40 प्रतिशत के आसपास है।
  • महिलाओं के लिए संसद और राज्यों की विधानसभाओं में एक तिहाई आरक्षण के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह संविधान संशोधन विधेयक लाए। विधेयक 9 मार्च 2010 को राज्यसभा में पारित हुआ। लेकिन लोकसभा में नहीं ले जाया जा सका।
  • राज्यसभा में पेश/पारित किए गए विधेयक समाप्त नहीं होते हैं, इसलिए महिला आरक्षण विधेयक अभी भी जीवित है।
  • कांग्रेस पार्टी पिछले नौ साल से मांग कर रही है कि महिला आरक्षण विधेयक, जो पहले ही राज्यसभा से पारित हो चुका है, उसे लोकसभा से भी पारित कराया जाना चाहिए।
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