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ट्रीजड़ी पर्व 2023: सिंधी समाज की महिलाओंं ने पति की दीर्घायु और उन्नति के लिए रखा व्रत

ट्रीजड़ी पर्व 2023: सिंधी समाज की महिलाओंं ने पति की दीर्घायु और उन्नति के लिए रखा व्रत।  शनिवार को सिन्धी समाज की महिलाओं ने ट्रीजड़ी (तीजा) पर्व पर अपने घरों में रहकर ट्रीजड़ी माता का व्रत रखकर, स्थापना कर और कथा सुनकर ट्रीजड़ी (तीजा)पर्व को सादगी के साथ मनाया। ट्रीजड़ी (तीजा) पर्व की शुरुआत सुबह के आयोजनों से हुई।

इसके अंतर्गत महिलाओं ने काले तिल, हरे मूंग और जव से ट्रीजड़ी माता की स्थापना की। सदस्यों ने बताया कि काला तिल ट्रीजड़ी माता का, और हरा मूंग हरियाली का और जव जो है दीर्घायु एवं उन्नति का प्रतीक है।

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सुहागन महिलाओं ने ट्रीजड़ी (तीजा) पर्व को इस वर्ष कोविड 19 के बढ़ते हुए संक्रमण को देखते हुए लॉकडाउन व शासन प्रशासन के नियमों के अनुसार मनाया।

सिंधी समाज ने मनाया तीज, झूला बनाकर माता को झुलाया

सिंधी समाज की महिलाओंं ने पति की दीर्घायु और उन्नति के रखा व्रत।

 

माता पर चढ़ाया मीठा जल झूले में विराजित भी किया
स्थापित की हुई ट्रीजड़ी माता को झूले में विराजित कर महिलाओं ने मंत्रोच्चार के साथ माता पर मीठा जल चढ़ाकर झूला झुलाया गया।

संध्याकाल के आयोजनों में ट्रीजड़ी माता को झूले से उतारकर बीच में स्थापित करके भक्तों ने अपने परिवारों के साथ ट्रीजड़ी पर्व की कथा सुनी।

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जानिए क्या है इस तीज पर्व और व्रत का महत्व

बताया कि एक बार एक महिला ने ट्रीजड़ी का व्रत रखा था। तो उसके कष्ट से व्यथित भाई ने नकली चांद के दर्शन को अर्ध्य दिलाकर अपनी बहन का व्रत तोड़ दिया था। जिससे उसके पति की मृत्यु हो गयी थी। फिर उस महिला ने एक साथ तक विधि विधान से सेवा की और अगले साल पति को जीवीत किया।

सिंधी समाज की महिलाओं ने बड़े ही धूम धाम से एवं उत्साह पूर्वक अपने घरों में रहकर ट्रीजडी पर्व मनाया। रात को चांद निकलने के बाद सभी महिलाओं ने चन्द्र दर्शन के बाद अपना व्रत समाप्त किया एवं भोजन ग्रहण किया। समाज की पदाधिकारियों ने बताया कि इस पर्व कि बड़ी ही महानता है।

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इस पर्व में महिलाएं अपने घरों में एक नया पौधा उगती है एवं उसकी भी पूजा अर्चना करती हैं। ट्रीजडी के अवसर पर सिंधी समाज की महिला इकाई भारतीय सिंधु सभा महिला विंग, दुर्ग शहर द्वारा प्रदेश स्तरीय ऑनलाइन प्रतियोगिता का भी आयोजन किया।