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Raksha Bandhan Shubh Muhurat2023: रक्षाबंधन पर इस तरह सजाएं राखी की थाली, राखी बांधने की ये है सही विधि

Raksha Bandhan Shubh Muhurat2023: रक्षाबंधन पर इस तरह सजाएं राखी की थाली, राखी बांधने की ये है सही विधि जल्द ही रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाने वाला है। भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक यह त्योहार इस बार 30 अगस्त को मनाया जाएगा। हर साल शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन यह पर्व आता है।

स दिन बहनें अपने भाईयों को राखी बांधती हैं। वहीं, भाई भी अपनी बहन को रक्षा करने का वचन देते हैं। इस पर्व पर बहनें पूजा की थाली सजाकर अपने भाई की आरती उतारती हैं। पंडित आशीष शर्मा के अनुसार राखी की थाली में कुछ चीजें जरूर रखना चाहिए। थाली में इन चीजों के होने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इससे भाई को दीर्घायु प्राप्त होती है। आइए, जानते हैं कि राखी की थाली में किन चीजों को शामिल करना चाहिए।

 

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सफेद चावल बिना टूटे होने चाहिए

पूजा में इस्तेमाल किए जाने वाले सफेद चावल बिना टूटे होने चाहिए। इन्हें अक्षत कहा जाता है। राखी की थाली में एक छोटी सी कटोरी में अक्षत रखें। राखी में पूजा के दौरान भाई के माथे पर तिलक के बाद अक्षत लगाया जाता है।
अक्षत के साथ एक छोटी सी कटोरी में रोली भी रखें।

भाई के माथे पर रोली का तिलक

माथे पर तिलक लगाने के लिए रोली का प्रयोग किया जाता है। रक्षाबंधन की रस्म भाई के माथे पर रोली का तिलक लगाकर ही शुरू की जाती है। इसे कुमकुम भी कहा जाता है। पूजा की थाली में ताजे पानी से भरा एक छोटा सा कलश भी रखना चाहिए। इस दिन पूजा की थाली में तांबे के लोटे में जल और चंदन भी रखें। इससे घर में देवी-देवताओं का आशीर्वाद बना रहता है।

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दीपक शुभ

नारियल का प्रयोग हर शुभ काम में किया जाता है। मान्यताओं के अनुसार, राखी बांधते समय नारियल का इस्तेमाल करने से भाई के जीवन में सुख-समृद्धि आती है। हर धार्मिक कार्य में दीपक शुभ माना जाता है। रक्षाबंधन के दिन बहनें दीपक जलाकर भाई की आरती उतारती हैं। इससे भाई-बहन का प्रेम बना रहता है और दोनों के जीवन में प्रकाश आता है। आरती उतारने और राखी बांधने के बाद बहनें भाई को मिठाई खिलाती हैं, मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भाई को मिठाई खिलाने से दोनों के रिश्ते में मिठास बनी रहती है।

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शुभ मुर्हुत 2023

पूर्णिमा तिथि 30 अगस्त को प्रातः 11.15 घटी अर्थात 10.12 बजे से प्रारंभ होगी और 31 अगस्त को प्रातः 7.45 बजे समाप्त होगी। पूर्णिमा तिथि पर दिनभर भद्रा का वास रहेगा। निर्णय सिंधु के अनुसार “इदं प्रतिपद्युतायां न कार्यम्।” प्रतिपदा युक्त पूर्णिमा में श्रावणी उपाकर्म और रक्षाबंधन किसी भी स्थिति में नहीं करना चाहिए।