Raj Shiksha Kendra: स्कूल शिक्षा विभाग ने इंदौर, भोपाल, ग्वालियर और जबलपुर को दिया B ग्रेड, छोटे जिलों ने टॉप 10 में स्थान बनाया; कटनी कहीं भी नहीं
Raj Shiksha Kendra: स्कूल शिक्षा विभाग ने इंदौर, भोपाल, ग्वालियर और जबलपुर को दिया B ग्रेड, छोटे जिलों ने टॉप 10 में स्थान बनाया; कटनी कहीं भी नहीं । स्कूल शिक्षा विभाग ने जिला स्तर पर सरकारी स्कूलों की स्थिति जारी की । प्रदेश के चारों बड़े जिले (इंदौर, भोपाल, ग्वालियर और जबलपुर) बी-ग्रेड पाकर पिछड़ गए हैं, छोटे जिलों में ए-ग्रेड के साथ छिंदवाड़ा पहले, बालाघाट दूसरे और सिवनी तीसरे स्थान पर रहे हैं। जबकि ये सुविधाओं के मामले में अन्य जिलों से बेहतर हैं। हालांकि भोपाल और ग्वालियर की रैकिंग में मामूली सुधार जरूर हुआ है। छोटे जिलों ने काफी अच्छी छलांग लगाकर शीर्ष दस में स्थान बनाया है। इस बार एक भी जिला उत्कृष्ट श्रेणी में नहीं आया है।
रिपोर्ट के मुताबिक भोपाल जिले ने तीन स्थान की छलांग लगाते हुए 32वां स्थान पाया है, पहले वह 35वें स्थान पर था। इसी तरह ग्वालियर 29वें से 20वें स्थान पर पहुंच गया है। इंदौर व जबलपुर पिछले साल से बहुत अधिक पिछड़ गए हैं। इंदौर 23वें से 29वें और जबलपुर 12वें से 21वें स्थान पर खिसक गया है। इन सभी को बी-ग्रेड मिला है।
छोटे जिलों में ए-ग्रेड के साथ छिंदवाड़ा पहले, बालाघाट दूसरे और सिवनी तीसरे स्थान पर रहे हैं। शिक्षाविदों का कहना है कि बड़े जिलों में सरकारी कार्यक्रम ज्यादा होते रहते हैं और छोटे जिले शैक्षणिक गुणवत्ता यानी बच्चों में सीखने की क्षमता विकसित करने की ओर अधिक ध्यान दे रहे हैं, इसलिए उन्होंने बाजी मारी है।
52 जिलों में से सिर्फ तीन को ए-ग्रेड
प्रदेश के 52 जिलों में से तीन छिंदवाड़ा, बालाघाट और सिवनी को ही ए-ग्रेड मिला है। इस बार 90 से ऊपर अंक लाकर ए प्लस की श्रेणी में एक भी जिला नहीं आया है। सी व डी ग्रेड में भी कोई जिला शामिल नहीं है।
इन जिलों का खराब प्रदर्शन
मुरैना पिछले वर्ष 10वें स्थान पर था, जो इस बार 47वें स्थान पर पहुंच गया है। सागर 19वें से 46वें, उज्जैन 27वें से 44वें, सीधी 34वें से 48वें, विदिशा 31वें से 45वें स्थापन पर आ गया है।
सात सूचकांक पर हुई ग्रेडिंग
इस ग्रेडिंग में नामांकन व ठहराव, सीखने के परिणाम और गुणवत्ता, शिक्षकों की उपलब्धता, समानता, अधोसंरचना एवं सुविधाएं, सुशासन प्रक्रियाएं और वित्तीय प्रबंधन, नवभारत साक्षरता कार्यक्रम श्रेणियों को शामिल कर ग्रेडिंग देते हुए रिपोर्ट तैयार की है।
पिछले वर्ष की तुलना में इन जिलों की रैंकिंग में सुधार
जिला वर्तमान रैंकिंग पिछले वर्ष की रैंकिंग
छतरपुर 4 14
डिंडौरी 9 25
खंडवा 11 21
श्योपुर 18 38
दतिया 19 36
सतना 25 43
आगरमालवा 26 40
अशोकनगर 30 49
धार 34 45
गुना 35 51
आलीराजपुर 42 52
बेहतर रैंकिंग वाले शीर्ष-10 जिले
जिला रैंकिंग
छिंदवाड़ा 1
बालाघाट 2
सिवनी 3
छतरपुर 4
शाजापुर 5
दमोह 6
नरसिंहपुर 7
नीमच 8
डिंडौरी 9
सीहोर 10
सबसे खराब प्रदर्शन वाले दस जिले
जिला रैंकिंग
रतलाम 43
उज्जैन 44
विदिशा 45
सागर 46
मुरैना 47
सीधी 48
बुरहानपुर 49
रीवा 50
सिंगरौली 51
राजगढ़ 52
ग्रेडिंग के लिए तय सात सूचकांक में इस तरह मिले जिलों को अंक
शीर्ष छोटे जिले
जिला- नामांकन व ठहराव- सीखने के परिणाम व गुणवत्ता- शिक्षकों की उपलब्धता- समानता – अधोसंरचना व सुविधाएं – वित्तीय प्रबंधन- साक्षरता कार्यक्रम
कुल अंक 18 27 10 15 10 15 5
छिंदवाड़ा 15.3 20.5 6.9 11.5 7.9 9.7 3
बालाघाट 15.7 20.8 7.2 10.7 7.2 10.2 4.7
सिवनी 15.3 19.2 7.2 10.8 8.2 10 4.6
बड़े जिले
भोपाल 12 19.2 6.7 7.1 7.7 10 3
ग्वालियर 11.8 18.5 6.3 10.1 7.2 9.9 3.3
इंदौर 11.8 13.6 6.6 10.8 9.6 8.7 4.9
जबलपुर 13.9 14 7.4 9.1 9.2 9.1 4.5
इसलिए पिछड़े बड़े जिले
शासन की ओर से आयोजित कार्यक्रम होना।
शिक्षकों की गैर शैक्षणिक कार्यक्रमों में ड्यूटी लगाना।
प्राचार्यों व शिक्षकों को अन्य कार्यों में लगाना।
स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति का कम होना।
आला अधिकारियों की निगरानी न होना।
जिन जिलों ने बेहतर प्रदर्शन नहीं किया है। उनकी समीक्षा कर उनकी कमियों में आवश्यक सुधार कार्य किए जाएंगे।
धनराजू एस, संचालक, राज्य शिक्षा केंद्र
बड़े जिलों में सरकारी कार्यक्रम अधिक होते हैं। यह भी पिछड़ने का एक बड़ा कारण है। अधिकारियों को शैक्षणिक गुणवत्ता की निगरानी करने की जरूरत है।
सुनीता सक्सेना, शिक्षाविद