Rahul Gandhi Modi surname defamation case Update: हाईकोर्ट से राहुल को झटका, सजा पर रोक की मांग वाली याचिका खारिज, अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे राहुल ?  सजा पर रोक की मांग वाली याचिका खारिज कर दी गई ।कांग्रेस नेता राहुल गांधी को मोदी सरनेम मानहानि केस में तगड़ा झटका लगा है। दो साल की सजा वाले सूरत कोर्ट के फैसले के खिलाफ राहुल गांधी ने गुजरात हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसे शुक्रवार को खारिज कर दिया गया। अब राहुल गांधी के पास सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का विकल्प है। यहां पढ़िए मामले से जुड़ा हर अपडेट

राहुल गांधी को राहत नहीं मिलना साल 2024 के लोकसभा चुनावों को लेकर भी अहम है। इसका सीधा असर विपक्षी एकता पर पड़ेगा। कांग्रेस चाहती है कि राहुल गांधी को पीएम पद का उम्मीदवार बनाकर चुनाव लड़ा जाए, जो अब होता नहीं दिख रहा है।

 

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5 मिनट में हो गया फैसला, पढ़िए क्या कहा जज ने राहुल गांधी पर

जस्टिस प्रच्छक ने महज 5 मिनट में अपना फैसला सुना दिया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के खिलाफ ऐसे 10 अन्य केस दर्ज हैं। इसलिए इस केस में राहत देना उचित नहीं होगा। वीर सावरकर के खिलाफ उनके बयान पर भी केस दर्ज है। यदि इस केस में राहत नहीं दी जाती है तो यह अन्याय नहीं होगा।

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राहुल गांधी के खिलाफ सूरत कोर्ट ने सुनाया था फैसला

 

बता दें, सूरत की अदालत ने भाजपा के विधायक पूर्णेश मोदी द्वारा 2019 में दायर मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 499 और 500 (आपराधिक मानहानि) के तहत दोषी ठहराते हुए 23 मार्च को राहुल गांधी को दो साल जेल की सजा सुनाई थी।
फैसले के बाद केरल के वायनाड से लोकसभा के लिए चुने गए गांधी को जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के प्रावधानों के तहत सांसद के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया था। राहुल गांधी ने दोषसिद्धि पर रोक लगाने की मांग करते हुए सत्र न्यायालय में आदेश को चुनौती दी थी।
20 अप्रैल को कोर्ट ने उन्हें जमानत देते हुए सजा पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया, जिसके बाद उन्होंने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

 

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राहुल गांधी की संसद सदस्यता नहीं होगी बहाल

 

आज यदि दोषसिद्धि पर रोक लगती तो राहुल गांधी को संसद सदस्य के रूप में बहाली का मार्ग प्रशस्त हो जाता, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मई में जस्टिस प्रच्छक ने गांधी की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह कहते हुए कोई अंतरिम राहत देने से इन्कार कर दिया था कि वह ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद अंतिम आदेश पारित करेंगे।