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AIMPLB राष्ट्रपति के समक्ष रखेंगे वक्फ मसला, बताएंगे मुस्लिम समुदाय पर पड़ने वाले इसके प्रभाव

नई दिल्ली: अखिल भारतीय मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने संसद द्वारा हाल ही में पारित वक्फ (संशोधन) विधेयक पर अपनी चिंता व्यक्त करने के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से तत्काल मुलाकात का समय मांगा है.

एआईएमपीएलबी के प्रवक्ता एसक्यूआर इलियास ने बोर्ड के महासचिव मौलाना फजलुर रहीम मुजद्ददी द्वारा लिखे गए पत्र की विषय-वस्तु जारी करते हुए शुक्रवार को कहा कि विधेयक में किए गए संशोधन में महत्वपूर्ण बदलाव शामिल हैं. ये वक्फ संस्थान के प्रशासन और स्वायत्तता को प्रभावित करते हैं.

पत्र में कहा गया है कि बोर्ड का राष्ट्रपति से मिलने का उद्देश्य हाल ही में पारित विधेयक और देश भर के मुस्लिम समुदाय पर इसके प्रभाव के बारे में गहरी चिंता व्यक्त करना है. इसमें आगे कहा गया है कि यह कानून पूरी तरह से असंवैधानिक है और देश के मुसलमानों पर हमला है.

एआईएमपीएलबी के महासचिव ने राष्ट्रपति को लिखे पत्र में कहा गया कि उनका मानना ​​है कि अधिनियम के प्रावधानों पर गंभीरता से पुनर्विचार की आवश्यकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि वे भारत के संविधान के तहत प्रदत्त मौलिक अधिकारों, विशेषकर धार्मिक स्वतंत्रता, समानता और धार्मिक संस्थानों की सुरक्षा के संबंध में असंगत है.

बोर्ड ने राष्ट्रपति से अनुरोध किया है कि मामले की गंभीरता को देखते हुए वह उसे शीघ्र नियुक्ति प्रदान करें, ताकि वह अपनी चिंताओं को प्रस्तुत कर सके तथा संवैधानिक ढांचे के भीतर संभावित समाधानों पर चर्चा कर सके.

एक बयान में एआईएमपीएलबी के महासचिव मुजद्दिदी ने कहा कि इस विधेयक का पारित होना दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के लिए एक काला अध्याय है. उन्होंने कहा कि सत्ता के नशे में चूर सत्तारूढ़ पार्टी सीमाएं लांघ रही है और अपनी गलतियों और विफलताओं को छिपाने के लिए देश में सांप्रदायिक नफरत को बढ़ावा दे रही है.

आगे कहा कि वक्फ (संशोधन) विधेयक भी इसी तरह का एक हिस्सा है. हालांकि इस विधेयक को गलत तरीके से मुस्लिम हितैषी बताया जा रहा है, लेकिन यह मुसलमानों को पूरी तरह से अस्वीकार्य है. मुजद्दिदी ने कहा कि यह खेदजनक है कि सरकार ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और अन्य मुस्लिम संगठनों द्वारा व्यक्त की गई चिंताओं पर कोई ध्यान नहीं दिया.

 

एआईएमपीएलबी के बयान में कहा गया है कि लोकसभा और राज्यसभा में विधेयक पेश किए जाने के बाद विपक्षी दलों के सांसदों ने पूरी सूझबूझ, पूरी तैयारी और कर्तव्यनिष्ठा के साथ विधेयक का विरोध किया और मुसलमानों के रुख को और भी स्पष्ट कर दिया.

एआईएमपीएलबी ने कहा कि यह एक अत्यंत स्वागतयोग्य कदम है. बोर्ड विधेयक के खिलाफ खड़े होने के लिए विपक्षी दलों के सभी प्रमुखों और सांसदों के प्रति आभार व्यक्त करता है. उनकी संवेदनशीलता की सराहना करता है.

हालांकि, भाजपा के सहयोगी दलों और उनके नेताओं, विशेषकर नीतीश कुमार, चंद्रबाबू नायडू, चिराग पासवान और जयंत चौधरी का आचरण निंदनीय रहा है. बयान में कहा गया है कि उनकी धर्मनिरपेक्ष छवि को देखते हुए मुसलमानों ने हमेशा उनका समर्थन किया.

 

हालांकि, उन्होंने मुसलमानों के साथ विश्वासघात किया. इसे कभी माफ नहीं किया जाएगा. उन्हें इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा. बयान में कहा गया है कि जो मुसलमान इन पार्टियों से जुड़े हैं, उन्हें अपनी स्थिति पर पुनर्विचार करना चाहिए.

इस विश्वासघात के बाद उनका स्थान क्या होगा? मुसलमान होने के नाते उन्हें कौन सा रास्ता अपनाना चाहिए? पूरे मुस्लिम समुदाय को प्रभावित करने वाले मुद्दे की बजाय अपने राजनीतिक हितों को प्राथमिकता देना निंदनीय है. एआईएमपीएलबी ने कहा कि वह देशव्यापी आंदोलन चलाएगा और कानूनी कार्रवाई शुरू करेगा. राज्यसभा में लंबी बहस के बाद इस को मंजूरी दे दी गई.

विधेयक को राज्य सभा में पारित कर दिया गया. इसमें 128 सदस्यों ने इसके पक्ष में तथा 95 ने इसके विरोध में मतदान किया. इसे गुरुवार को सुबह लोकसभा में पारित कर दिया गया, जिसमें 288 सदस्यों ने इसके समर्थन में तथा 232 ने इसके विरोध में मतदान किया.

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