
दोहा के बाद इज़राइल की नज़र अब तुर्किये पर? अरब में बढ़ा बेंजामिन फैक्टर।कतर की राजधानी दोहा पर इजराइली हमलों के साथ ही अरब महासंग्राम शुरू हो चुका है. अरब देशों के सुल्तान एकजुटता दिखाने के लिए दोहा पहुंच रहे है।
दोहा के बाद इज़राइल की नज़र अब तुर्किये पर? अरब में बढ़ा बेंजामिन फैक्टर
इजराइली हमलों की निंदा कर रहे हैं, लेकिन इजराइल ने ऐलान कर दिया है कि देश के दुश्मनों को खोज-खोजकर मारा जाएगा, भले ही वो धरती के किसी भी कोने में क्यों ना छिपे हों. इजराइल की इस धमकी के साथ ही युद्ध के विस्तार की आशंका बढ़ गई है।
इजराइल के बारे में सीक्रेट रिपोर्ट है कि कतर पर हमलों के बाद उसका टारगेट तुर्किये हो बनने वाला है. कुछ ही दिनों के अंदर इजराइल NATO सदस्य तुर्किये पर हमले कर सकता है. अगर तुर्किये पर हमले हुए तो क्या नाटो वर्सेज इजराइल की जंग छिड़ सकती है?9-10 सितंबर को कतर की राजधानी दोहा इजराइल की एयर स्ट्राइक्स से दहल उठी. हमास के बड़े नेता इस हमले में मारे गए।
हालांकि इजराइल के अपने दावे हैं और हमास के अपने. हमास के नेताओं का अंजाम चाहे जो हुआ हो, लेकिन इजराइली एयर स्ट्राइक से एक बात साफ हो गई कि हमास को शरण देने वाले अरब देशों की संप्रभुता खतरे में है।
इजराइल के लिए अरब देशों को अमेरिकी सिक्योरिटी गारंटी के कोई मायने नहीं हैं. इजराइल का दावा है कि अमेरिका को कतर पर हमलों की सूचना पहले दी गई तो मतलब ये कि अमेरिका इजराइल के ऑपरेशन का मौन समर्थक है. अमेरिका में निवेश करके भी अरब देश इजराइली खतरे से सुरक्षित नहीं हैं. अब अरब देशों को इजराइल के खिलाफ एकजुट होकर आत्मरक्षा करनी होगी।
बदलने लगे अरब के समीकरण
अमेरिकी खेमे के देश अबतक खुद को ट्रंप की शरण में समझकर सुरक्षित मान रहे थे, लेकिन ये भ्रम टूट चुका है इसीलिए कतर ने कहा है कि इजराइल और अमेरिका ने अपना वादा तोड़ा है. अगस्त में इजराइल-US ने कहा था कि दोहा में हमास ठिकानों पर हमले नहीं होंगे, लेकिन 9 सितंबर को ये गारंटी इतिहास हो गई और दोहा में हमास से जुड़ी इमारतें धधकने लगीं.
इजराइल में इन हमलों का जश्न मनाया जा रहा है. ये इजराइली मीडिया के डेली टॉक शो दि पैट्रियट्स के होस्ट हैं और स्टूडियो में शैंपेन खोलकर कतर पर हमलों का जश्न मना रहे हैं. दूसरी तरफ अरब सहित दुनिया के कई देश इजराइली हमलों को अंततराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन बता रहे हैं. दोहा में UEA के राष्ट्रपति मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान और सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान पहुंचे हैं. दोनों नेताओं ने कतर का समर्थन किया है और इजराइल के खिलाफ एकजुटता का प्रदर्शन भी. जॉर्डन के किंग भी दोहा पहुंचने वाले हैं.
अबतक इजराइल अरब के युद्धग्रस्त देशों पर हमले कर रहा था. इनमें गाजा पट्टी, लेबनान, सीरिया, इराक और यमन शामिल हैं, लेकिन अब इजराइल ने पहली बार अमेरिका के करीबी सहयोगी कतर पर हमले कर दिए हैं. इससे अरब के समीकरण बदलने लगे हैं. लेकिन, इजराइल का ऑपरेशन यहीं नहीं रुकने वाला है. प्रधानमंत्री नेतन्याहू के बयान से इसके संकेत मिले हैं.
तुर्किये इजराइल का अगला टारगेट?
इजराइल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि मैं कतर सहित आतंक को पनाह देने वाले सभी देशों से कहता हूं या तो आतंकियों को निकालो, या न्याय करो क्योंकि अगर आप ऐसा नहीं करते तो हम जरूर करेंगे. इसके साथ ही इजराइल के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ इयाल जमीर ने भी चेतावनी जारी कर दी है. जमीर ने कहा है कि इजराइली डिफेंस फोर्सेस के लंबे हाथ अरब में छिपे अपने सभी दुश्मनों को खत्म कर देंगे.
नेतन्याहू और सेना प्रमुख के इस बयान के मायने बहुत गहरे हैं. अमेरिका के सहयोगी कतर पर हमले हो चुके हैं और अब रिपोर्ट है कि इजराइल तुर्किए के शहर इस्तांबुल या राजधानी अंकारा पर हमले की तैयारी कर रहा है. तुर्किये में हमास के ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की जा सकती हैं. इसके लिए इजराइली वायुसेना ने ब्लूप्रिंट तैयार कर लिया है.
मिडिल ईस्ट फोरम के हवाले से रिपोर्ट है कि तुर्किये इजराइल का अगला टारगेट है और कोई हैरत की बात नहीं है अगर अगले 100 घंटे के अंदर- अंदर इजराइली वायुसेना तुर्किये पर हमले कर दे. अबतक हमास के नेता विवाद में मध्यस्थ कतर को सुरक्षित समझते रहे, लेकिन अब ऐसा नहीं है. हमास के नेता तुर्किये को इसलिए सुरक्षित मान रहे हैं क्योंकि वो नाटो का सदस्य है इसलिए सवाल ये है कि क्या इजराइल नाटो सदस्य देश इजराइल पर हमले करके नाटो के आर्टिकल 5 का शिकार बन सकता है?
OIC के 57 देश हो रहे इजराइल के खिलाफ एकजुट
मिडिल ईस्ट फोरम का दावा है कि इजराइल हमले को तुर्किये प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ आत्मरक्षा का कदम बताएगा. NATO संगठन में आर्टिकल 5 लागू करने पर गतिरोध पैदा होगा क्योंकि US, स्वीडन और फिनलैंड आर्टिकल 5 लागू करने पर वीटो लगा सकते हैं. US इजराइल का समर्थक है और फिनलैंड, स्वीडन की NATO सदस्यता का तुर्किये विरोध करता रहा है इसीलिए अरब में ये चर्चा आम है कि अब ना नाटो का अम्ब्रैला मुस्लिम देश तुर्किये को बचा सकता है ना ही अमेरिका से मजबूत रिश्तों की सुरक्षा गारंटी अरब के बाकी देशों के काम आने वाली है. इसीलिए अरब के देश अब अमेरिका और इजराइल के खिलाफ एकजुट हो रहे हैं. ऐसे हालात में इस्लामिक देश मिलकर इजराइल के खिलाफ जिहाद का एलान कर सकते हैं.
OIC यानी ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन के 57 देश इजराइल के खिलाफ एकजुट हो रहे हैं. ये देश मिलकर इजराइल के खिलाफ धर्मयुद्ध शुरू कर सकते हैं. इजराइल के हमलों का जवाब OIC के देश मिलकर दे सकते हैं. अरब के कुछ और देश रूस-चीन के खेमे से जुड़ सकते हैं।
इस तरह अरब में एक महासंग्राम की चिंगारी भड़क सकती है और इस जंग में इजराइल अकेला पड़ेगा, ऐसे में अमेरिका को भी अरब के खिलाफ जंग में उतरना पड़ सकता है. नाटो के शक्ति समीकरण गड़बड़ा सकते हैं और अरब में सुपरपावर का संग्राम हो सकता है। दोहा के बाद इज़राइल की नज़र अब तुर्किये पर? अरब में बढ़ा बेंजामिन फैक्टर