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20 वर्ष बाद शहर बीचोंबीच खनन की अनुमति से बढ़ रहा विरोध

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कटनी। लगभग 20 वर्षों के बाद एक बार फिर शहर का सीना छलनी करने की तैयारी खनिज विभाग, जिला प्रशासन व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कर ली है। शहर की बीचोबीच जागृति पार्क के बाजू से बंद पड़ी बाक्साइड खदान में फिर खनन की अनुमति दिए जाने कागजी खानापूर्ति पूरी कर ली गई है।

वह दिन दूर नहीं जब यहां फिर से उत्खनन होगा और भारी भरकम वाहनों की धमाचौकड़ी के साथ शहर में वायु प्रदूषण बढ़ेगा। बताया जाता है कि 20 वर्ष से बंद पड़ी टिकुरिया खदान में खनन शुरू करने की तैयारी है। खदान स्वीकृत कर दी गई है।

जिला प्रशासन की अनुमति के बाद मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अफसरों ने लोक सुनवाई की प्रक्रिया पूरी कर दी है। जल्द खदान का संचालन शुरू होगा। खदान का संचालन शुरू होने से माधवनगर के ऑक्सीजन टैंक जागृति पार्क पर खतरा मंडरा जाएगा। खनन की स्वीकृति के लिए परियोजना क्षेत्र का विवरण भी गलत दर्शाया गया है।

खनिज विभाग द्वारा माधवनगर में जागृति पार्क के पीछे ग्राम टिकुरिया के खसरा नंबर 2/1क, 2/2, 2/3ख, 2/5, 18/5पी, 55 पी कुल क्षेत्र 16.87 हेक्टेयर में बॉक्साइट, लेटराइट व लाइमस्टोन खनिज के लिए मेसर्स स्माइल एंड संस को 1/11/1995 से 31/10/25 तक की लीज स्वीकृत की गई है। लीज स्वीकृति के बाद यहां कुछ वर्षों तक तो खनन हुआ लेकिन पर्यावरण स्वीकृति के अभाव में यहां करीब 20 वर्ष से खनन बंद है।

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एक बार फिर मेसर्स स्माइल एंड संस ने यहां खनन को लेकर अनुमति मांगी है, जिसके बाद खनिज विभाग से प्रक्रिया शुरू हुई। पर्यावरण अनुमति के लिए यहां 28 मार्च 2023 को लोक सुनवाई का आयोजन किया गया और इस प्रक्रिया को पूरा कर रिपोर्ट बोर्ड को भेजी गई है। वैसे भी जिला अपार व बेशकीमती खनिज संपदा से भरा पड़ा है। वैध से लेकर अवैध कारोबार चरम पर है। खनन कारोबारी लाभ के लिए नियम कायदों को रौंदते हुए खनिज का दोहन कर रहे हैं। वर्तमान में होने वाले खनन से समाज व पर्यावरण पर क्या दुष्प्रभाव पड़ रहा है। इस भयावहता से बिल्कुल भी निश्चिंत हैं। अब कारोबारियों की नजर शहर की सांसों पर कुदृष्टि पड़ गई है। शहर के ऑक्सीजन जोन जागृति पार्क के बाजू से मनमाना खनन होगा, जिससे पार्क के पेड़ों के साथ लोगों का दम घुटेगा।

शहर से ढाई किलोमीटर दूर के दस्तावेज लगाकर अनुमति का खेल

खनन की स्वीकृति के लिए परियोजना के विवरण में भी भ्रामक जानकारी दी गई है। परियोजना क्षेत्र के विवरण में जिन दस्तावेजों को लगाया गया है, उनमें खदान से शहर की दूरी 2.5 किमी बताई गई है जबकि खदान शहर के बीचोंबीच स्थित है। निकटम गांव टिकरिया दर्शाया गया है जबकि यह क्षेत्र पूरी तरह से नगरीय निकाय के अधीन है और वंश स्वरूप वार्ड के अंतर्गत आता है।

पेड़ पौधों पर मंडराया संकंट

जागृति पार्क से सटकर ही बॉक्साइट, लेटराइट व लाइमस्टोन खनिज के लिए स्वीकृत क्षेत्र है। पार्क में सामाजिक संस्थाओं व समाजसेवियों ने बीते वर्षों में हजारों पौधे लगाए हैं जो अब पेड़ बनकर लहलहा रहे हैं। पार्क के आसपास माइनिंग शुरू होती है तो पूरी तरह से बर्बाद हो जाएगा। हजारों पेड़ प्रदूषण की चपेट में आकर खत्म हो जाएंगे।
शहर के सबसे बड़े पार्क के बाजू से है खदान
जागृति पार्क करीब 60 एकड़ क्षेत्रफल में फैला हुआ है। यह पार्क पूरी तरह से शासन की जमीन पर बना हुआ है। जागृति पार्क की देखरेख कटनी पर्यावरण संधारण समिति करती है और इसके अध्यक्ष खुद कलेक्टर हैं। करीब 10 वर्ष में जागृति पार्क से जुड़कर शहर के दानदाताओं, उद्योगपतियों, समाजसेवियों, पर्यावरण मिश्रा सहित अन्य ने इसे संवारा है। शहर को साफ सांसें देने पहल की है। जिस पर अब खनन कारोबारी व अफसरों का गठजोड़ कुठाराघात कर रहा है।
जागृति पार्क समिति करेगी खनन का विरोध
जागृति पार्क की कटनी पर्यावरण संधारण समिति के पदाधिकारी खदान स्वीकृत करने के विरोध में उतर आए हैं। समिति के सचिव निरंजन पंजवानी का कहना है कि शहर के सबसे बड़े पार्क को तबाह करने की यह साजिश है। जनता को अंधेरे में रखकर खदान की स्वीकृति देना पूरी तरह से गलत है। समिति के कोषाध्यक्ष जाकिर हुसैन का कहना है कि शहरवासियों ने इस पार्क को पाल-पोसकर बड़ा किया है। खनन हुआ तो पार्क पूरी तरह से तबाह हो जाएगा। खनन का विरोध किया जाएगा और किसी भी सूरत में पार्क को मिटने नहीं दिया जाएगा। शासन चाहे तो पार्क को जमीन स्वीकृत कर सकता है, जिसका उपयोग पर्यावरण के लिए किया जाएगा।
इनका कहना है
माधवनगर में खदान स्वीकृति का मामला शासन का है। शहर के बीचोंबीच खदान संचालन को लेकर नगरनिगम द्वारा क्या अनापत्ति दी गई है या नहीं इसकी जानकारी मुझे नहीं है। शासन के नियमानुसार ही खदान चलाई जा सकती है।
-विनोद शुक्ला, आयुक्त, ननि।

 

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