संप्रेषणा नाट्य मंच का छठवां सबरंग नाट्य महोत्सव सफलतापूर्वक संपन्न

संप्रेषणा नाट्य मंच का छठवां सबरंग नाट्य महोत्सव सफलतापूर्वक संपन्
कटनी-संप्रेषणा नाट्य मंच, कटनी द्वारा आयोजित एवं संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से छठवां सबरंग नाट्य महोत्सव-2025 तीन दिवसीय नाट्य प्रस्तुतियों के साथ रविवार को सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। 14 से 16 नवम्बर तक प्रतिदिन सायं जागृति पार्क, माधवनगर में हुए इस महोत्सव में देशभर से आए कलाकारों ने अपने सशक्त अभिनय और सामाजिक सरोकारों से जुड़े नाटकों से दर्शकों को प्रभावित किया
तीन दिनों की प्रमुख प्रस्तुतियाँ में
14 नवम्बर – “मेरा कुछ सामान”
प्रस्तुति: कला पथिक, मुम्बई | निर्देशन: संजय पाण्डेय
नाटक – मेरा कुछ सामान
लेखक – रवि कांत मिश्रा निर्देशक – संजय पांडेय, नाटक मेरा कुछ सामान, पति – पत्नी के संबंधों पर आधारित है . आज के दौर में जहां रिश्ते बनते ही टूटने की कगार पे आ जाते हैं , एक दूसरे की कमियों और खूबियों को समझते हुए , ग़लतियों को नज़र अन्दाज़ करते हुए रिश्ते निभाने का सब्र कम होता जा रहा है और रिश्ते सीधे परिणाम पर पहुँच जाते हैं और वो परिणाम होता है – तलाक़ ….इस नाटक के नायक और नायिका , अरुण और सुनीता की अरेंज मैरिज होती है, 12 साल तक रिश्ता किसी तरह खींच खांच के चलता है और एक दिन दोनों अलग होने का फ़ैसला करते हैं और एक साल तक अलग रहने के बाद वो दोनों कोर्ट में तलाक़ की अर्ज़ी देते हैं पर कोई वजह नहीं बताते ना कोई किसी पे कोई आरोप लगाता है , दोनों के विचार नहीं मिलते और वो अलग होना चाहते हैं , पर कोर्ट अलग होने से पहले उन्हें अपने फ़ैसले पर विचार करने का एक मौक़ा देता है और उनके सामने उसी घर में जहां वो 12 साल साथ रहे , एक महीने और साथ रहने को कहता है और अगर एक महीने साथ रहने के बाद भी वो अलग होना चाहें तो उन्हें तलाक़ मिल जाएगा ,नाटक यहां से शुरू होता है -वो दोनों उस घर में एक साल बाद आयें हैं , घर उजड़ा पड़ा है , सुनीता सब चीज़ घर की सही करती है पर दोनों में नोंक – झोंक़ चलती रहती है , एक दूसरे पे ताने कसते हैं , एक दूसरे की कमियाँ / खूबिया गिनाते है , थोड़ा प्यार थोड़ा झगड़ा चलता रहता है ..दोनों को अपनी गलती का अहसास होता है और एक महीना पूरा होने से पहले ही दोनों साथ में घर छोड़ने का फ़ैसला करते है पर इस वादे के साथ कि वो इसी छत के नीचे मिलते रहेंगे ,क्या पता इसी तरह मिलते / बिछड़ते, लड़ते / झगड़ते वो हमेशा के लिए मिल जायें या हमेशा के लिए अलग हो जाये पर कोर्ट के माध्यम से वो ऑफ़िशयली तलाक़ नहीं लेंगे
पात्र परिचय अरुण – संजय पांडेय ,सुनीता – रागिनी पांडेय
रामदास – मनोज टाइगर
लक्ष्मण – राजन क़ानू
लेखक – रविकान्त मिश्रा
निर्देशक – संजय पांडेय ,मंच अभिकल्पना – मनीष शिर्के
प्रकाश परिकल्पना – महेश विश्वकर्मा
पार्श्व संगीत – अनीश सिंह
वेश भूषा – विद्या विष्णु रहे
15 नवम्बर को “तो बदल देंगे”
प्रस्तुति: रंगरेज़ रंग समूह, भोपाल | निर्देशन: योगेश योगी नाटक के बारे में लेखक अमरकांत की कहानी ‘लड़का-लड़की’ पर अधारित नाटक “तो बदल देंगे” एक आधुनिक रूपातरंण के फलस्वरूप पैदा हुआ एक नाट्य प्रयोग है। जिसे सुगम बनाए रखने हेतु विविध शैलियों का समावेश किया गया है। मनुष्य प्रेम से उपजी करुणा को हमेशा से अनदेखा करता आया है, जिसके चलते मनुष्य से मनुष्य के प्रति भेद का भाव कभी समाप्त नहीं हो सका । प्रेम सर्वग्य है और अंहकार, अभिलाषा एवं मोह व्यक्तिगत । नाटक का नायक भी इसी व्यक्तिगत पीड़ा का अनुशरण करता है और प्रेम को उपकार की भांति दुनिया को देकर एक दिखावटी क्रांति की नुमाइश करता है। वो परोपकार को व्यक्ति केन्द्रित कल्याण समझता है जिसके चलते अंत में वो बहुमूल्य प्रेम की अनदेखी कर गुमनामी के गर्त में खो जाता है। विलुप्त हो चुकी भांड कला को नाटकीय विधा में समावेशित कर प्रासंगिक बनाने का प्रयास है।
कास्ट में मास्टर – योगेश योगी ,मोहन – अभिषेक किरार ,मन्नू – सीत बैजन्ती मिश्रा ,चंदर – आशीष राजपूत ,तारा – मनाली मैना/प्रिया विश्वनाथ ,पप्पू – अद्विक सीत योगी ,बच्चा – अकाय सीत योगी सहभागी रहे
मंच पर ढोलक – वैभव/विनोद
हारमोनियम/कीबोर्ड – जीत अहिरवार ,परकशन/गायन – प्रिया विश्वनाथ ,रूप सज्जा – प्रिया विश्वनाथ प्रकाश – हेमंत पंजाबी
कहानी – अमरकांत ,गीत/संगीत/नाट्यालेख एवं निर्देशन – योगिश योगी प्रस्तुति – रंगरेज़ रंग समूह, भोपाल,16 नवम्बर – “फितरती चोर प्रस्तुति: लोक रंग समिति, सतना निर्देशन: सविता दाहिया
“फितरती चोर नाटक के बारे में:
विजयदान देथा द्वारा लिखी इस राजस्थानी लोक कथा के अनुसार फितरती चोर अपने गुरु को मजाक में वचन देता है, कि मैं सोने की थाली में खाना नहीं खाऊंगा, मैं कभी हाथी की सवारी नहीं करूंगा, मैं किसी रानी से विवाह नहीं करूंगा, मैं किसी देश का राजा नहीं बनूंगा और मैं कभी झूठ नहीं बोलूंगा। चोर को स्वयं को चोर बोलने से हास्यापद स्थिति उत्पन्न होती है। पुलिस से लेकर जनता सोचती है कि यह पागल है। इसी का फायदा उठाकर वह चोरी करता है। स्वभाव से कोमल चरित्र वाला चोर चोरी किए हुए धन को गरीबों में बांट देता है। एक बार वह राजमहल में चोरी करते हुए पकड़ा जाता है। उसे रानी के सामने पेश किया जाता है। वह चोर के समक्ष शादी का प्रस्ताव रखती है, लेकिन वह मना कर देता है। वह गुरु को दिए वचन को निभाने के लिए संयोग,सौभाग्य और अप्रत्याशित रूप से मिलने वाले सभी सुखों को छोड़ देता है। नाटक के माध्यम से संदेश दिया गया है कि जहां लोग अपने छोटे-छोटे स्वार्थों के लिए झूठ बोलते हैं और वादों को तोड़ देते हैं। वहीं एक चोर सच बोलने और वचन निभाने के लिए राज पद ठुकरा कर अपनी जान देने को तैयार हो जाता है। आज के परिपेक्ष्य में इस अद्भुत कथानक को कबीर दास के अनमोल वचन,प्रेरक दोहे और भजन के माध्यम से संगीत बद्ध किया गया है। बघेली लोक कलाओं के मौलिक तथ्यों से सज्जित इस लोक कथा का नाट्य मंचन बहुत आनंद दायक और रोमांचकारी है।
मंच पर सूत्रधार/खजांची-दिव्यांश दाहिया चोर-द्वारिका दाहिया,गुरु- राम बहादुर दाहिया,सेठ जी-सुरेन्द्र चौधरी,राजा-अखिलेश दाहिया,पंडित जी/सेनापति -देवेश दहायत,पंडिताइन-संध्या कुशवाहा,दासी-श्रेया दहायत,चेला-मनीष कुशवाहा,दीवान-इस्ताक,खान,सैनिक1-दीपेन्द्र वर्मा,सैनिक 2- आशुतोष चौधरी,अफंती-देवेश दहायत,रानी- अनामिका दाहिया कोरस-कुनाल,शिवांश, अभिषेक,अनन्या,दीपांश, मंच पर प्रस्तुति प्रबंधक- कृष्ण कांत गुप्ता,मंच प्रबंधक- अखिलेश दाहिया सेट डिजाइन -द्वारिका दाहिया,सेट निर्माण- राम बहादुर दाहिया,प्रॉपर्टी -सुरेन्द्र चौधरी,मंच सज्जा-दीपांश,देवेश,वस्त्र विन्यास- अनामिका दाहिया,अजय मास्टर ,मेकअप-श्रेया दहायत,हारमोनियम-सुभाने दहायत,ढोलक-आशुतोष चौधरी,नगड़िया-अमन चौधरी,डफ-दिव्यांश दाहिया,प्रकाश परिकल्पना-द्वारिका दाहिया,प्रकाश संचालन-शिवा रजक,नाट्य रूपांतरण,परिकल्पना एवं निर्देशन-सविता दाहिया
प्रथम दिवस के मुख्यातिथि एवं विशिष्ट अतिथि
समारोह में मुख्यातिथि के रूप में कटनी मुड़वारा विधायक संदीप जयसवाल एवं कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रकाश आहूजा एवं विशिष्ट अतिथि निरंजन पंजवानी की उपस्थित रहीं। द्वितीय दिवस मुख्य अतिथि के रूप में टीका राम कुशवाहा जी कार्यक्रम की अध्यक्षता मनोज सिंह टाइगर और विशिष्ट अतिथि संजय पांडे एवं डॉ राजेंद्र गुप्ता जी की उपस्थिति हुई। अंतिम दिवस मुख्यातिथि के रूप में डॉ उमा निगम , कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ चित्र भाटिया,विशिष्ट अतिथि निरंजन पंजवानी,अश्वनी की उपस्थिति रही।
अतिथियों ने संप्रेषणा नाट्य मंच की निरंतर नाट्य प्रतिबद्धता की प्रशंसा की और कहा कि ऐसे आयोजन शहर की सांस्कृतिक पहचान को मजबूत करते हैं। महोत्सव में हिन्दी एवं भोजपुरी फिल्म अभिनेता संजय पाण्डेय और मनोज सिंह टाइगर की उपस्थिति दर्शकों के लिए आकर्षण का केंद्र रही।महोत्सव के सफल आयोजन में कटनी पर्यावरण विकास संधारण समिति का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
संप्रेषणा नाट्य मंच ने आगामी वर्ष में और भी समृद्ध नाट्य आयोजन करने की घोषणा की। तीनों दिन जागृति पार्क का मुक्ताकाश मंच दर्शकों से भरा हुआ था और दर्शकों ने इस आयोजन को हर वर्ष करने की अपील की है







