सुनवाई तक भारत को न सौंपा जाए
दरअसल, अमेरिकी शहर कैलिफॉर्निया के सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट के यूनाइटेड स्टेट्स डिस्ट्रिक्ट जज डेल एस फिशर ने दो अगस्त को राणा की बंदी प्रत्यक्षीकरण रिट याचिका को खारिज कर दिया था। इस आदेश के खिलाफ उसने नौवें सर्किट कोर्ट में अपील की थी कि सुनवाई तक उसे भारत को न सौंपा जाए।
18 अगस्त को नया आदेश
इसी को लेकर, डिस्ट्रिक्ट जज डेल एस. फिशर ने 18 अगस्त को एक नया आदेश जारी किया। उन्होंने कहा कि राणा के प्रत्यर्पण पर रोक लगाने की मांग करने वाले एकतरफा आवेदन को मंजूरी दी जाती है। उन्होंने सरकार की उन सिफारिशों को भी खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि राणा के प्रत्यर्पण पर कोई रोक नहीं होनी चाहिए। न्यायाधीश ने कहा था कि राणा के भारत प्रत्यर्पण पर नौवें सर्किट कोर्ट के समक्ष उसकी अपील के पूरा होने तक रोक लगाई जाती है।
पहले दिया था 10 अक्तूबर का समय
दूसरी तरफ, नौवीं सर्किट कोर्ट ने राणा के उस अनुरोध पर सहमति दी थी, जिसमें उसने दलील पेश करने के लिए अधिक समय मांगा था। इस पर कोर्ट ने शुरू में 10 अक्तूबर का समय दिया था। अमेरिकी सरकार से आठ नवंबर तक जवाब देने को कहा था।
अब पेश करना होगा इस दिन दलील
वहीं, अब अदालत के नए आदेश के अनुसार, राणा को नौ नवंबर को अब अदालत के सामने दलील पेश करना है। जबकि सरकार को 11 दिसंबर तक अपना पक्ष रखना है।
यह है पूरा मामला
26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए भीषण आतंकी हमलों में भूमिका को लेकर भारत द्वारा प्रत्यर्पण का अनुरोध किए जाने पर राणा को अमेरिका में गिरफ्तार किया गया था। भारत की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) 2008 में पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों द्वारा किए गए 26/11 के हमलों में राणा की भूमिका की जांच कर रही है।