वीएफजे बचाने मुहिम के बीच तबादला सूची की सुगबुगाहट

जबलपुर विशेष प्रतिनिधि। शहर के रक्षा कारखानों में कभी सबसे ज्यादा उत्पादन के लिए आबंटित प्राप्त करने वाली व्हीकल फैक्टरी की हालत बहुत ही ज्यादा खराब है। यहां का उत्पादन निजी क्षेत्र क आंबटित होने के बाद इस निर्माणी में काम ही नहीं बचा है। यहां कर्मचारियों की भर्ती भी रोक दी गई है। जिससे अब वहां स्वीकृत संख्या से भी कम कर्मचारी बचें है।
आगामी उत्पादन लक्ष्य ने होने से व्हीकल फैक्ट्री की सभी यूनियनें ऐसोसिएशन संयुक्त संघर्ष समिति बनाकर आंदोलन पर उतर आई है। प्रतिदिन द्वारा सभा को और प्लांटों में नारेबाजी का क्रम जारी है। इसकी ओर प्रबंधन ने करीब 300 कर्मचारियो की उस सूची को अंतिम रूप दे दिया गया है।
बहुत संभव है सूची में दर्ज कर्मचारियों को निर्माणि से मुक्त कर दिया जावेगा। उल्लेखनीय है कि विगत दिनों दिल्ली में महाप्रबंधकों का सम्मेलन हुआ था। जिसके रक्षा मंत्रालय और आयुध निर्माणी बोर्ड के सदस्य शामिल हुए थे। सम्मेलन में पारित प्रस्ताव 4.6 के अनुसार कानुपर की आयुध उपस्कर निर्माणियों के साथ व्हीएफजे जिसका उत्पादन निजी क्षेत्रों को दे दिये गये है।
यहां के कर्मचारियों को अन्य निर्माणियों में भेजे जाने का प्रस्ताव पारित किया गया था। प्रस्ताव के क्रियान्वयन के लिए निर्माणियों को आदेश दे दिये गये थे। तदानुसार कर्मचारियों से अन्य निर्माणियों में जाने के लिए आवेदन मांगे गये थे। उस सन्दर्भ में व्हीएफजे में करीब ४सौ कर्मचारियों ने आवेदन किया था।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पहली सूची में २७२ कर्मचारियों के नामों को अंतिम मुहर लगा दी है। चूंकि व्हीएफजे में आंदोलन शुरू हो गया है। लिहाजा अभी सूची को रोक दिया गया है। प्रबंधन मौके की तलाश में है। जैसे ही उसे अवसर हाथ लगता है कम्रचारियों को फैक्टरी से रिलीज कर दिया जाएगा। पता चला है कि उसके बाद दूसरी सूची भी बनना शुरू हो गई है। कुल मिलाकर सरकार इस निर्माणी में हाल फिलहाल 8सौं कर्मचारी लगभग रखना चाहती है। जबकि शुरुआती दौर में करीब 12 हजार कर्मचारी यहां पदस्थ हैं। बहरहाल देखना यह है कि व्हीकल फैक्टरी के संबंध में सरकार क्या निर्णय लेती है। इसे चालू रखा जाएगा या बंद कर दिया जाएगा लेकिन इसके साथ ही व्हीएफजे को कारपोरेट घरानों को भी सौंपे जाने की मांग भी फैक्अरी के बाहरी क्षेत्रों में शुरू हो गयी है।