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विजयराघवगढ़ के लिए कौन होगा कांग्रेस का उम्मीदवार? चार दावेदार दिखा रहे वजनदारी, चर्चा में पद्मा, ध्रुव, नीरज, और श्याम तिवारी

कटनी, (राजा दुबे)। जिले का विजयराघवगढ़ विधानसभा क्षेत्र पिछले दो चुनाव से भाजपा के कब्जे में है। भाजपा सरकार में राज्य मंत्री रह चुके संजय सत्येन्द्र पाठक 2008 से 2018 तक यहां चार बार जीत का परचम लहरा चुके हैं। 2008 और 2013 में उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में जीत दर्ज की थी जबकि 2014 और 2018 के चुनाव में वे भाजपा से चुनावी समर में उतरे थे। विजयराघवगढ़ संजय सत्येन्द्र पाठक का अभेद्य दुर्ग बन चुका है। यहां पार्टी की लहर के बावजूद प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार को हार का सामना करना पड़ा है। 2008 और 2013 में भाजपा की लहर के बावजूद भाजपा प्रत्याशी ध्रुव प्रताप सिंह और पद्मा शुक्ला की हार हुई थी। 2018 में पद्मा शुक्ला कांग्रेस की ओर से मैदान में उतरीं, चुनाव के दौरान प्रदेश में कांग्रेस की लहर थी बावजूद इसके विजयराघवगढ़ में कांग्रेस को पराजय ही मिली।

अब 2023 में कांग्रेस यहां भाजपा को कड़ी टक्कर देना चाहती है जिसके लिए किसी दमदार प्रत्याशी की तलाश की जा रही हालांकि अभी तक उसे ऐसा कोई प्रत्याशी मिला नहीं। संभावना जताई जा रही कि इस बार भी कांग्रेस भाजपा छोड़कर आये किसी बागी नेता पर दांव लगा सकती है। भाजपा के इस अजेय दुर्ग पर फतह के लिए कांग्रेस किस योद्धा को मैदान में उतारेगी इसका पता उम्मीदवार की अधिकृत घोषणा के बाद ही पता चलेगा पर फिलहाल कांग्रेस की उम्मीदवारी पाने चार बड़े दावेदार सक्रिय हैं जो न केवल कांग्रेस के बड़े नेताओं से लगातार संपर्क बनाने का प्रयास कर रहे वरन क्षेत्र का दौरा कर मतदाताओं का मूड भांपने का भी प्रयास कर रहे।

पूर्व प्रत्याशी पद्मा सहित नवागत ध्रुव भी दौड़ में

दो बार भाजपा और एक बार कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़कर हार की हैट्रिक लगा चुकी क्षेत्र की वरिष्ठ कांग्रेस नेत्री पद्मा शुक्ला इस बार भी कांग्रेस की उम्मीदवारी का दावा पेश कर रहीं। दीवारों पर जगह जगह उनका नाम नज़र आने लगा है। कुछ ग्रामों में जनसम्पर्क की खबरें भी सामने आई हैं। हालांकि 2018 के चुनाव में हार के बाद वे निष्क्रिय हो गई थीं। कार्यकर्ता भी उनसे दूर हो गए थे। पिछले साल नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव तक वे निष्क्रिय ही रहीं। बड़े नेताओं की निष्क्रियता के कारण ही निकाय और पंचायत चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद कमज़ोर रहा। कैमोर जैसी क्षेत्र की प्रमुख नगर परिषद में कांग्रेस एक पार्षद तक नहीं ला पाई। जिन आदिवासी वार्डों में कांग्रेस कभी नहीं हारी थी उन वार्डों में भी कांग्रेस को हार का दंश झेलना पड़ा। कुछेक प्रदर्शनों को छोड़ दें तो कांग्रेस के बड़े नेता क्षेत्र में कभी एक मंच पर नज़र नहीं आये। इन सबके बावजूद पद्मा शुक्ला कांग्रेस की उम्मीदवारी के लिए सक्रिय हैं। भाजपा से चुनकर 2003 में विजयराघवगढ़ से विधायक बने ध्रुव प्रताप सिंह भी पार्टी पर उपेक्षा का आरोप लगा कर भाजपा से किनारा कर चुके हैं। भाजपा छोड़ने के बाद वे पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ के हाथों कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर चुके है। दो बार भाजपा के जिलाध्यक्ष और एक बार विधायक के अलावा वे कटनी विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष भी रहे।

इस हिसाब से उनकी भी मजबूत दावेदारी बनती है। ध्रुव दादा के समर्थक तो मानकर चल रहे कि सदस्यता ग्रहण के साथ ही उनकी उम्मीदवारी पक्की हो चुकी है। चार साल घर में बैठकर भाजपा को कोसने वाले ध्रुव दादा अब मैदान में उतरकर भाजपा को सबक सिखाने की तैयारी में है अब कांग्रेस उन्हें इसका मौका देती है या नहीं यह तो प्रत्याशी चयन के बाद ही पता चल पाएगा।

नीरज सिंह और श्याम तिवारी भी लगा रहे जोर

विजयराघवगढ़ क्षेत्र में पिछले कुछ सालों से कांग्रेस नेता के रूप में नीरज सिंह काफी सक्रिय रहते हैं। हालांकि पिछले चुनाव मे कांग्रेस की प्रत्याशी रहीं पद्मा शुक्ला ने उन पर साथ नहीं देने का आरोप लगाया था। वरिष्ठ नेताओं से चुनाव में भितरघात करने वाले जिन तीन प्रमुख स्थानीय नेताओं की शिकायत की गई थी उसमें भी नीरज सिंह का नाम शामिल था। बावजूद इसके नीरज सिंह कांग्रेस नेताओं के लगातार संपर्क में रहे। पार्टी ने उन्हें प्रदेश की कार्यकारिणी में भी स्थान दिया है। नीरज सिंह ने पिछले विधानसभा चुनाव में भी टिकट के लिए अपनी दावेदारी पेश की थी पर पार्टी ने उनसे ज्यादा भरोसा भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आई पद्मा शुक्ला पर जताया था। इस बार फिर नीरज सिंह पूरी वजनदारी के साथ उम्मीदवारी की कतार में है। देखें इस बार पार्टी उन्हें मौका देती है या फिर दल बदल कर आया नेता बाजी मार लेता है।

कैमोर क्षेत्र में श्रमिक राजनीति करने वाले एवरेस्ट यूनियन के अध्यक्ष कांग्रेस के पूर्व प्रदेश मंत्री श्याम तिवारी हर विधानसभा चुनाव में अपनी दावेदारी पेश करते आ रहे। 2018 के चुनाव में उन्होंने कांग्रेस की ओर से नामांकन भी दाखिल कर दिया था। टिकट फ़ाइनल हो जाने के वे बड़ी मुश्किल से माने थे। कांग्रेस के अनेक वरिष्ठ नेताओं से उनकी नजदीकियां हैं। कांग्रेस में दखल रखने वाले कम्प्यूटर बाबा से भी उनके घनिष्ट सम्बन्ध है। लगभग दो महीने से वे क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों का दौरा कर रहे। दर्ज़नों गांवों में उनकी बैठकें हो चुकी है। उनका कहना है कि इस बार कांग्रेस कार्यकर्ता थोपा हुआ प्रत्याशी नहीं चाहते। पार्टी को पार्टी के प्रति समर्पण रखने वाले स्थानीय नेता को ही टिकट देनी होगी। श्रमिक बहुल क्षेत्र होने के नाते श्याम तिवारी की दावेदारी को कमजोर करके नहीं आंका जा सकता,,अब आगे क्या होगा यह आने वाला समय ही बताएगा। फिलहाल कांग्रेस की उम्मीदवारी को लेकर चर्चाओं और कयासों का दौर जारी है।

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