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रातोंरात प्रतीक्षालय तुड़वाकर नाले को छोड़ दिया था खुला, मौतों के बाद लोगों में भारी आक्रोश

कटनी। माधवनगर में जो खुला नाला हादसे का गवाह बना है, वहां पहले प्रतीक्षालय बना था। माधवनगर के ही एक भू माफिया ने दुकान का शोरूम दिखाने के लिए रातों.रात नगर निगम की सांठगांठ से प्रतीक्षालय को तुड़वा दिया था। नगर निगम की ओर से सुबह.सुबह मालवा फिंकवाने में कोई देरी नहीं की गई थी। इसके बाद नाले को खुला छोड़ दिया गया। भूमाफिया और महापौर दोनों पर कार्यवाही की मांग उठ रही है। करीब 9 घंटे की मशक्कत के बाद जब पिता प्रशांत टोपनानी और मासूम बेटी आद्या के शव नाले के अंतिम छोर पर मिले तो वहां मौजूद लोगों की आंखें छलछला आई। इसके साथ ही लोगों के आक्रोश का लावा भी इस हत्यारी व्यवस्था को लेकर फट पड़ा। आक्रोशित लोगों ने क्षेत्र के विधायक संदीप जायसवाल और महापौर शशांक श्रीवास्तव के खिलाफ नारे लगाए। गुस्साए लोगों की इन जनप्रतिनिधियों से बहस भी हुई।

कई बार दिए गए थे खुले नाले को पाटने के आवेदन, कोई सुनवाई नहीं
काल का गाल बने इस नाले का खुला मुंह बंद करने के लिए क्षेत्र के लोगों ने अनेक बार नगर निगम में आवेदन किया। लिखित में बात पहुंचाई गई। निजी रूप से भी लोग विधायक और महापौर से मिले लेकिन इस समस्या को किसी भी स्तर पर गंभीरता से नही लिया गया। अंततः वही हुआ, जिसका अंदेशा था। क्षेत्र के निवासी अजय मेहानी ने बताया कि वे स्वयं नाले को बंद करने के लिए लिखित आवेदन नगर निगम देकर आये थे, पर करोड़ों के विकास कार्यों का ढिंढोरा पीटने वाली नगर निगम में इस आवेदन पर कोई सुनवाई नही हुई।

एसआई का पैर फिसला, गिरे नाले में एनडीआरएफ की टीम ने बचाया
जिस वक्त पिता-पुत्री को बचाने के लिए एनडीआरएफ की टीम रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही थी, उसी वक्त भीड़ को नियंत्रित करने में जुटे माधवनगर थाने के उपनिरीक्षक सी के तिवारी का पैर फिसला और वे सिर के बल नाले में जा गिरे। तत्काल एनडीआरएफ की टीम ने एसआई तिवारी को पकड़कर सुरक्षित बाहर निकाला।

कुरकुरे का पैकेट ले गया मौत के मुंह तक
चार बरस की मासूम आद्या को कुरकुरे का पैकेट मौत के मुंह तक खींच ले गया। दरअसल बारिश के चलते नाला ओव्हरफ्लो हो गया था और पानी सड़क लेबल से बह रहा था। इसी बीच एक्टिवा में पिता के साथ बैठी बच्ची के हाथ से कुरकुरे का पैकेट छूट गया। नादान बच्ची पैकेट को पकड़ने के फेर में एक्टिवा से उतर गई। पैकेट पानी मे उतराता हुआ नाले की ओर बहने लगा। बच्ची भी पीछे पीछे दौड़ी और सीधे खुले नाले में समा गई। बेटी को डूबता देख प्रशांत भी दौड़ा और वह भी लबालब नाले में समा गया।

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