भोपाल, इंदौर, जबलपुर समेत मध्यप्रदेश की 29 सीटों पर सबकी नजर

भोपाल। लोकसभा चुनाव 2019 की मतगणना 23 मई को की जाएगी। मध्यप्रदेश में 29 लोकसभा सीटों पर सबकी नजरें हैं। मध्यप्रदेश में चार चरणों में लोकसभा चुनाव के लिए मतदान कराया गया। पिछली बार हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा को 27 सीटें मिली थी वहीं कांग्रेस के पास दो सीट थी। बाद में रतलाम में हुए उपचुनाव में कांग्रेस को एक सीट और मिली।
मध्यप्रदेश में पहलेे चरण में 29 अप्रैल को सीधी, शहडोल, जबलपुर, मंडला, बालाघाट और छिंदवाड़ा सीट के लिए वोट डाले गए जबकि दूसरे चरण में 6 मई को टीकमगढ़, दमोह, सतना, होशंगाबाद, बैतूल, खजुराहो व रीवा सीट के लिए मतदान कराया गया। वहीं तीसरे चरण में 12 मई को मुरैना, भिंड, ग्वालियर, गुना, भोपाल, सागर, विदिशा एवं राजगढ़ तथा चौथे चरण में 19 मई को देवास, उज्जैन, मंदसौर, रतलाम, इंदौर, धार, खरगोन और खंडवा सीट के लिए वोट डाले गए।
इस बार मध्य प्रदेश में 2014 के लोकसभा चुनाव के मुकाबले सर्वाधिक 10 प्रतिशत मतदान में वृद्धि हुई। मप्र में कुल मतदान 71 फीसदी हो गया । इस प्रकार 2014 के लोकसभा चुनाव के मुकाबले देखें तो मतदान में वृद्धि लगभग 10 फीसदी हुई है, जो अन्य किसी राज्य के मुकाबले सर्वाधिक है।
प्रदेश की 29 में से 18 सीटों पर 70 फीसदी से ज्यादा मतदान हुआ। सर्वाधिक 82.10 फीसदी छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र में हुआ। इसके बाद देवास में लगभग 80 फीसदी, बैतूल में 78.20, मंदसौर 77.74, मंडला 77.62 फीसदी, खरगोन 77.51, बालाघाट 77.36, खंडवा 76.80, रतलाम 75.19, धार 75.11, उज्जैन 74.93, शहडोल 74.58, राजगढ़ 74.32, होशंगाबाद 74.17, विदिशा 71.62, सतना 70.75, गुना 70.02 और इंदौर में 70 फीसदी मतदान हुआ। जबकि 2009 के लोकसभा चुनाव में अकेली छिंदवाड़ा ऐसी सीट थी, जहां 71.94 फीसदी मतदान हुआ था।
इस बार भोपाल सीट के साथ ही छिंदवाड़ा, गुना, जबलपुर, मुरैना, रतलाम सीट पर चुनाव नतीजों की बेसब्री से प्रतीक्षा की जा रही है। भोपाल मेें कांग्रेस के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह और भाजपा उम्मीदवार प्रज्ञा सिंह ठाकुर के बीच मुकाबला बयानों और आरोपों के बीच पूरे देश में चर्चित बन गया।
इस बार मालवा निमाड़ में भी रोचक चुनाव तस्वीर बनी। भाजपा के वरिष्ठ नेता और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने जहां चुनाव प्रचार की कमान पूरी तरह अपने पास रखी वहीं कांग्रेस की ओर से राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी और मुख्यमंत्री कमलनाथ मोर्चा संभाले रहे। इस बार जहां भाजपा ने कांग्रेस को वचनपत्र के मुद्दों और किसान कर्ज माफी योजना पर कटघरे में खड़ा ने किया वहीं कांग्रेस ने भाजपा पर पांच साल के वादे पूरे नहीं करने का आरोप लगाया।