पढ़िए मध्यप्रदेश के सियासी संकट में क्या हुआ आज दिनभर न्यायलय से सड़क तक


भोपाल, नई दिल्ली, बेंगलुरु
मध्यप्रदेश के सियासी संकट को लेकर आज दिल्ली से लेकर भोपाल तक हलचल मची रही। सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस व भाजपा दोनों पक्षों की ओर से दलीलों का दौर चला। बागी विधायकों ने भी अदालत के सामने अपना पक्ष रखा। उधर, भोपाल में भी इसे लेकर जमकर सियासी ड्रामा हुआ और कांग्रेस-भाजपा कार्यकर्ता आमने-सामने आ गए। क्या-क्या हुआ दिनभर पढ़ें।
सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश कांग्रेस के बागी विधायकों से न्यायाधीशों के चैंबर में मुलाकात करने की पेशकश ठुकराते हुए टिप्पणी की कि विधानसभा जाना या नहीं जाना उनपर (विधायकों) निर्भर है, लेकिन उन्हें बंधक बनाकर नहीं रखा जा सकता। न्यायमूर्ति धनंजय वाई चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की पीठ ने कांग्रेस के 22 बागी विधायकों के इस्तीफे की वजह से मध्य प्रदेश में उत्पन्न राजनीतिक संकट को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। पीठ ने कहा कि वह विधानसभा द्वारा यह निर्णय करने के बीच में नहीं पड़ेगी कि किसके पास सदन का विश्वास है, लेकिन उसे यह सुनिश्चित करना है कि ये 16 विधायक स्वतंत्र रूप से अपने अधिकार का इस्तेमाल करें।
पीठ ने इन विधायकों की ओर से चैंबर में मुलाकात करने की पेशकश यह कहते हुए ठुकरा दी कि ऐसा करना उचित नहीं होगा। यही नहीं, पीठ ने रजिस्ट्रार जनरल को भी इन बागी विधायकों से मुलाकात के लिए भेजने से इंकार कर दिया। पीठ ने इसके साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और भाजपा के नौ विधायकों के साथ ही मप्र कांग्रेस विधायक दल की याचिकाओं पर सुनवाई गुरुवार को सुबह साढ़े दस बजे तक के लिए स्थगित कर दी। पीठ ने कहा कि संवैधानिक न्यायालय होने के नाते हमें अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना है और इस समय की स्थिति के अनुसार वह यह जानती है कि मध्य प्रदेश में ये 16 बागी विधायक पलड़ा किसी भी तरफ झुका सकते हैं।
शिवराज चौहान की दलील
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने सभी बागी विधायकों को न्यायाधीशों के चैंबर में पेश करने का प्रस्ताव रखा जिसे अदालत ने अस्वीकार कर दिया। उन्होंने कहा कि वैकल्पिक उपाय के अंतर्गत कर्नाटक हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल गुरुवार को जाकर इन बागी विधायकों से मुलाकात कर सकते हैं और कार्यवाही की वीडियो रिकार्डिंग कर सकते हैं।
रोहतगी ने कांग्रेस की याचिका की विचारणीयता पर सवाल उठाया और कहा कि एक राजनीतिक दल अपनी याचिका में बागी विधायकों से मुलाकात का अनुरोध कैसे कर सकता है। उन्होंने कहा कि समस्या यह है कि कांग्रेस चाहती है कि बागी विधायक भोपाल जाएं ताकि उन्हें लुभाया जा सके और वह खरीद-फरोख्त कर सके। बागी विधायकों ने भी पीठ से कहा कि वे संविधान के प्रावधान के अनुरूप किसी भी नतीजे का सामना करने के लिये तैयार हैं। इन विधायकों ने कांग्रेस के नेताओं से मुलाकात करने से इंकार करते हुए कहा कि उनकी ऐसी इच्छा नहीं है।
बागी विधायकों की दलील
बागी विधायकों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने कहा कि अध्यक्ष हमारे इस्तीफे दबाकर नहीं बैठ सकते। क्या वह कुछ इस्तीफे स्वीकार कर सकते हैं और बाकी अन्य को नहीं कर सकते हैं क्योंकि राजनीतिक खेल चल रहा है। उन्होंने कहा कि इस्तीफा देना उनका संवैधानिक अधिकार है और इन इस्तीफों को स्वीकार करने के लिए अध्यक्ष का क्या कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि इन सभी विधायकों ने प्रेस कांफ्रेंस करके घोषणा की है कि उन्होंने अपनी इच्छा से यह निर्णय लिया है और हलफनामे पर भी उन्होंने ऐसा ही किया है। इन विधायकों ने पीठ से कहा कि हमारा अपहरण नहीं किया गया है और हम इस संबंध में साक्ष्य के रूप में अदालत के समक्ष एक सीडी भी पेश कर रहे हैं। हम कांग्रेस के नेताओं से नहीं मिलना चाहते। हमें बाध्य करने के लिये कोई कानूनी सिद्धांत नहीं है।
कांग्रेस की दलील
इससे पहले दिन में सुनवाई के दौरान मध्य प्रदेश कांग्रेस पार्टी ने अदालत से आग्रह किया कि राज्य विधानसभा में रिक्त हुए स्थानों के लिए उपचुनाव होने तक सरकार के विश्वास मत प्राप्त करने की प्रक्रिया स्थगित की जाए। कांग्रेस ने यह भी दलील दी कि अगर उस समय तक कमलनाथ सरकार सत्ता में रहती है तो आसमान नहीं टूटने वाला है। कांग्रेस की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कहा कि अगर उपचुनाव होने तक कांग्रेस सरकार को सत्ता में बने रहने दिया जाता है तो इससे आसमान नहीं गिरने वाला है और शिवराज सिंह चौहान की सरकार को जनता पर थोपा नहीं जाना चाहिए। दवे का कहना था कि राज्यपाल को सदन में शक्ति परीक्षण कराने के लिए रात में मुख्यमंत्री या अध्यक्ष को संदेश देने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि अध्यक्ष सर्वेसर्वा है और मध्य प्रदेश के राज्यपाल उन्हें दरकिनार कर रहे हैं।
चौहान की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने इस तर्क का विरोध करते हुए कहा कि कांग्रेस के 22 विधायकों के इस्तीफे, जिनमें से छह इस्तीफे स्वीकार किए जा चुके हैं, इसके बाद राज्य सरकार को एक दिन भी सत्ता में बने रहने नहीं देना चाहिए। रोहतगी ने आरोप लगाया कि 1975 में आपातकाल लगाकर लोकतंत्र की हत्या करने वाली पार्टी अब डॉ. बी आर अंबेडकर के उच्च सिद्धांतों की दुहाई दे रही है।
दिग्विजय सिंह से नहीं मिलना चाहते: बागी विधायक
उधर, बंगलूरू के एक रिजॉर्ट में ठहरे मध्य प्रदेश कांग्रेस के बागी विधायकों का कहना है कि वे पार्टी के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह से नहीं मिलना चाहते, जो उनसे मिलने के लगातार प्रयास कर रहे हैं। विधायकों से मिलने की कोशिश में आज सुबह रिजॉर्ट के पास पहुंचे दिग्विजय सिंह को पुलिस ने हिरासत में लिया था। हालांकि थोड़े समय बाद उन्हें रिहा कर दिया गया। मध्य प्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री रहे दिग्विजय सिंह ने प्रदर्शन करते हुए पुलिस पर उन्हें विधायकों से ना मिलने देने का आरोप लगाया। दिग्विजय ने कर्नाटक कांग्रेस के प्रमुख डी. के. शिवकुमार के साथ विधायकों से मिलने के लिए शीर्ष पुलिस अधिकारियों से मुलाकात भी की। उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह और कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा पर विधायकों से मिलने के उनके प्रयासों में बाधा डालने का आरोप भी लगाया है।
हिरासत में लिए गए दिग्विजय
इससे पहले बंगलूरू में बुधवार की सुबह उस रिजॉर्ट के पास नाटकीय घटनाक्रम देखने को मिला जहां मध्यप्रदेश के बागी कांग्रेस विधायक ठहरे हुए हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने पुलिस पर विधायकों से मुलाकात न करने देने का आरोप लगाते हुए प्रदर्शन किया। इस पर पुलिस ने उन्हें कुछ देर के लिए हिरासत में ले लिया। पुलिस द्वारा हिरासत में लिए गए दिग्विजय ने भाजपा पर विधायकों को बंधक बनाने का आरोप लगाया और कहा कि वह भूख हड़ताल करेंगे। उन्होंने कहा कि भाजपा विधायक अरविंद भदौरिया और एक सांसद ने उन्हें बंधक बना रखा है।
(मध्यप्रदेश के सीहोर में एक रिसॉर्ट ठहराए गए भाजपा विधायकों के साथ क्रिकेट खेलते शिवराज सिंह चौहान)
भोपाल में सियासी ड्रामा
अदालत में आज की सुनवाई खत्म होने के बाद भोपाल में जमकर सियासी ड्रामा हुआ। कर्नाटक में दिग्विजय सिंह को हिरासत में लिए जाने के विरोध में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने भोपाल में भाजपा कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने भाजपा कार्यालय का घेराव किया और बैरिकेड तोड़कर कार्यालय में घुस गए। इसके बाद भाजपा व कांग्रेस कार्यकर्ता आमने-सामने आ गए।
Madhya Pradesh: Police detains Congress workers who were protesting outside BJP office in Bhopal, against detention of Congress leader Digvijaya Singh in Bengaluru. Singh was detained after he sat on a dharna when he was not allowed to meet rebel Madhya Pradesh Congress MLAs.
कांग्रेस के विधायकों ने राज्यपाल टंडन से मुलाकात कीइससे पहले आज मध्यप्रदेश कांग्रेस के विधायकों ने बुधवार को राजभवन में राज्यपाल लालजी टंडन से मुलाकात कर बंगलूरू में रह रहे कांग्रेस के विधायकों को भाजपा द्वारा बंधक बनाकर रखे जाने का आरोप लगाया। इन्होंने मांग की कि इन विधायकों को मुक्त कराने के लिए राज्यपाल अपने संवैधानिक प्रभाव का उपयोग कर आवश्यक कार्रवाई करें। ज्ञापन में कांग्रेस ने लिखा है- निवेदन है कि मप्र कांग्रेस के 16 माननीय विधायकों को बंगलूरू में भाजपा ने बंधक बनाकर रखा है। इन विधायकों को बंधन मुक्त करने के लिए विधायक दल के नेता मुख्यमंत्री कमलनाथ भी आपसे निवेदन कर चुके हैं।