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अबोध बच्ची से गैंगरेप के बाद हत्या करने वालों को फांसी के अलावा कोई सजा नहीं दी जा सकती-HC

जबलपुर। अबोध बच्ची से गैंगरेप के बाद हत्या करने वालों को फांसी के अलावा कोई सजा नहीं दी जा सकती. इस तल्ख टिप्पड़ी के साथ हाईकोर्ट ने डिंडोरी जिला अदालत के फैसले को उचित ठहराते हुए दो अपराधियों को मृत्युदंड की सजा बरकरार रखी है.

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि ‘अपनी काम-पिपासा की तृप्ति के लिए मासूम बच्ची से गैंगरेप फिर उसकी गला घोंट कर हत्या जैसे घृणित अपराध के लिए अपराधियों को फांसी के अलावा और कोई सजा नहीं दी जानी चाहिए. वर्तमान समय में बच्चों से दुष्कर्म की बढ़ती वारदातों से पूरे देश में आक्रोश है. लिहाजा ऐसे अपराधियों को फांसी देना न केवल सामाजिक आवश्यकता है बल्कि दूसरे ऐसे अपराधियों में भय पैदा करने के लिए भी जरूरी है.

हाई कोर्ट जस्टिस एसके सेठ व जस्टिस नंदिता दुबे की डिवीजन बेंच ने इस मत के साथ डिंडोरी जिला अदालत द्वारा मामले के दो अपराधियों को सुनाई गए मृत्युदंड की पुष्टि कर दी. अभियोजन के अनुसार डिंडोरी जिले के मेहंदवानी थानांतर्गत गुंझियारी गांव में चौक समारोह में शामिल होने ग्यारह वर्षीय पांचवीं कक्षा में पढ़ने वाली बालिका अपने माता पिता के साथ 14 अप्रैल 2017 को आई थी.

रात 11 बजे समारोह से बालिका लापता हो गई. परिजनों ने रात भर बालिका को तलाशा लेकिन पता नहीं चला । सुबह 5 बजे प्रकाश होने पर खेत के किनारे निर्मित हैंडपंप के समीप रोड में बालिका का शव अर्धनग्न अवस्था में मिला था.पुलिस ने जांच के बाद गुझियारी के ही आरोपी भगवानी (25) और सतीश (30) को गिरफ्तार किया था.

आरोपियों ने बताया कि वे बच्ची को कुरकुरे और सोनपपड़ी खिलाने का लालच देकर खेत की ओर ले गए थे.उसके बाद उसके साथ नशे की हालत में दुराचार किया. राज खुलने के डर से आरोपियों ने नाबालिग का गला घोंटकर मार डाला. इसके बाद शव को सड़क किनारे फेंक दिया. डिंडोरी अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश भागवती चौधरी ने भी 3 नवंबर 2017 को आरोपियों को सजा सुनाते हुए कहा कि ऐसे गंभीर अपराधों में दया दिखाया जाना न्याय का उपहास होगा.

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