
कटनी। प.पू. 108 संत शिरोमणी गुरूवर आचार्य 108 विद्यासागर जी महाराज के मंगल आर्शीवाद से प.पू. निर्यापक मुनि श्री 108 समता सागर जी महाराज,प.पू.मुनि श्री 108 महासागर जी महाराज, प.पू.मुनि श्री निष्कंप सागर जी महाराज ऐलक श्री निश्चिय सागर जी महाराज के सानिध्य में पिच्छिका परिवर्तन महोत्सव बड़ी धूमधाम एवं श्रद्धा के साथ मनाया गया।
कार्यक्रम के प्रथम चरण में दीप प्रज्ज्वलन दि.जैन समाज पंचायत समिति एवं चतुर्मास धर्मप्रभावना के साथ बाहर से पधारे श्रावकों द्वारा किया गया मुनि संघ को दमोह,सागर,सतना,नन्ही देवरी, बुढ़ार, जबलपुर, अशोकनगर, खुरई, अमरपाटन, ब्यौहारी, सिलवानी, खजुराहों, बम्हौरी आदि शहरों से आये श्रद्धालुओं के साथ चतुर्मास सम्पन्न कराने में लगे विभिन्न समितियों के पदाधिकारियों एवं सदस्यों द्वारा श्रीफल चढ़ाकर आर्शीवद लिया गया।
मुनि श्री पाद प्राक्षलन का सौभाग्य धनगॉव राजस्थान से पधारे मदनलाल बाबूलाल जैन एवं शास्त्र भेंट गंजबसौदा के पधारे निर्मल कुमार बाबूलाल जैन को प्राप्त हुआ इस अवसर पर अजय सरावगी,समाजसेवी संजय जैन, स.सि.अनुराग जैन विनय जैन निर्वृत्तमान एस.डी.एम., सुनील जैन-सोनू, मिट्ठूलाल जैन का सम्मान पगड़ी एवं माला पहनाकर सम्मान पत्र देकर चतुर्मास प्रभावना समिति एवं पंचायत समिति एवं बंगला मंदिर परिवार पदाधिकारियों एवं सम्मानीय सदस्यों के द्वारा किया गया ।
पंचायत समिति के अध्यक्ष संजय जैन ने प्रस्ताव पढ़तें हुये कहा कि समाज की संस्थाओं एवं मंदिरों में होने वाले धार्मिक एवं चार्तुमास के कार्यक्रम की अनुशांसा पंचायत द्वारा कराने के पश्चात् ही चार्तुमास एवं विधान आयोजित किये जाये जिसकी पूर्व अध्यक्ष समाजसेवी सि.संतोष कुमार मालगुजार ने अनुमोदना कि उपस्थित जनसमुदाय ने अपनी स्वीकृत प्रदान की। कार्यक्रम के द्वितीय चरण मंें निर्यापक मुनि श्री समता सागर महाराज की पुरानी पिच्छि लेने का सौभाग्य स.सि. उत्तम चंद जैन परिवार को प्राप्त हुआ तथा मुनि श्री को नई पिच्छि देने का सौभाग्य युवाओं को प्राप्त हुआ।
मुनि श्री निष्कंष सागर जी महाराज की पुरानी पिच्छि सिंघई पंचम जैन परिवार को प्राप्त हुई एवं नई पिच्छि देने का सौभाग्य बैयावृत्त एवं आहार व्यवस्था में लगे युवाओं को प्राप्त हुआ। इसी तारतम्य में मुनिश्री निष्कंष सागर जी महाराज की पुरानी पिच्छि सि.मनोज कुमार जैन फैशन गाईड परिवार को प्राप्त हुई तथा नई पिच्छि देने का सौभाग्य निहार व्यवस्था में लगे युवाओं को प्राप्त हुआ ऐलक श्री निश्चिय सागर जी महाराज की पुरानी पिच्छि उनके गृहस्थ जीवन के भाई को प्रदान की गई। तथा नई पिच्छि देने का सौभाग्य संजय जैन टी.सी. को प्राप्त हुआ।
कार्यक्रम का संचालन भोपाल से पधारे युवा कवि चन्द्रसेन द्वारा किया गया । कार्यक्रम स्थल पर भारी संख्या में श्रावक-श्राविकाओं ने उपस्थिति होकर धर्मलाभ लिया। प.पू. श्री समता सागर जी महाराज ने बतलाया मयूर अपने पंख स्वतः छोड़ देती है और ये पंख अत्यंत मुलायम होने के कारण इसकी पिच्छि बनाई जाती है जीवों की विरादना (हत्या) न हो इसलिए मुनिराज एवं आर्यिकाएॅ पिच्छि हमेशा अपने रखते है।
You must be logged in to post a comment.