अलवर:बालविवाह के खौफ से पिंकी ने पाई आजादी और चुनी नई राह

अलवर। बालविवाह, हिंदुस्तान खासकर राजस्थान की एक ऐसी स्याह हकीकत है, जिससे कई बच्चों को रूबरू होना पड़ता है। कई जिंदगियां तबाह हो जाती है और कई बच्चों का बचपन छोटी उम्र में ही मुरझा जाता है। ऐसी ही बाल विवाह की कहानी है पिंकी की, जिसने अपने बालविवाह के खिलाफ जंग लड़ी और जीतकर दूसरों के लिए पथप्रदर्शक बनी।
पिंकी ने लड़ी बालविवाह के खिलाफ जंग-
यह कहानी है राजस्थान में अलवर के एक कस्बे थानागाजी की पिंकी की, जिसकी महज दस साल की उम्र में शादी कर दी गई थी। उसके बाद ही उसकी जिंदगी खौफ के साये मे बीतने लगी थी। उसको गौने का डर सताने लगा था, क्योंकि गौने के बाद प्रथा के अनुसार उसको अपने पति के घर जाना था, लेकिन पिंकी दिल से इसके लिए तैयार नहीं थी इसलिए एक बार तो उसके ससुराल वालों ने उसको अगवा करने की कोशिश भी की।
उस घटना के बाद पिंकी की मां मीरादेवी ने सामाजिक संस्था सारथी से मदद मांगी, जो बालविवाह के खिलाफ अभियान चलाती है। सारथी ट्रस्ट की ट्रस्टी कीर्ति भट्ट ने पिंकी को जोधपुर आने की सलाह दी और पिंकी के रहने- खाने की व्यवस्था की गई। जोधपुर में पिंकी ने अपनी शादी रद्द करने के लिए एक याचिका लगाई और आखिर में फरवरी 2018 में उसको कैद से आजादी मिल गई। कोर्ट ने उसकी शादी को रद्द कर दिया।
पिंकी ने अब नई जिंदगी की शुरूआत करदी है और उसने प्री टीचर एलिजबिलिटी की एग्जाम पास कर बीएड कॉलेज में एडमिशन ले लिया है। अब पिंकी अपने सपनों को साकार करने में लग गई है और भविष्य में टीचर बनना चाहती है।