आंवला नवमी पर करें आंवले के पेड़ की पूजा, होगी हर मनोकामना पूरी
धर्म डेस्क। कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को अक्षय नवमी कहा जाता है। इस बार यह पर्व 29 अक्टूबर को है और इस दिन आंवले के पेड़ के नीचे बैठने और खाना खाने से कष्ट दूर हो जाते हैं। अक्षय नवमी का शास्त्रों में वही महत्व बताया गया है जो वैशाख मास की तृतीया का है। शास्त्रों के अनुसार अक्षय नवमी के दिन किया गया पुण्य कभी समाप्त नहीं होता है। इस दिन जो भी शुभ कार्य जैसे दान, पूजा, भक्ति, सेवा किया जाता है उनका पुण्य कई-कई जन्म तक प्राप्त होता है।
आंवला नवमीः 5 घंटे का होगा मुहूर्त,, इस तरह से करें पूजा
अक्षय नवमी के दिन शास्त्रों में आंवले के वृक्ष की पूजा करने का विधान बताया गया है। मान्यता है कि अक्षय नवमी के दिन आंवले के वृक्ष में भगवान विष्णु एवं शिव जी का निवास होता है। इसलिए अक्षय नवमी के दिन प्रातः उठकर आंवले के वृक्ष के नीचे साफ-सफाई करनी चाहिए। आंवले के वृक्ष की पूजा दूध, फूल एवं धूप से करनी चाहिए।
इस दिन आंवले के वृक्ष के नीचे भोजन बनाकर ब्राह्मणों को खिलाना चाहिए इसके बाद स्वयं भोजन करना चाहिए। भोजन के समय पूर्व दिशा की ओर मुंह रखें। शास्त्रों में बताया गया है कि भोजन के समय थाली में आंवले का पत्ता गिरे तो यह बहुत ही शुभ होता है। थाली में आंवले का पत्ता गिरने से यह माना जाता है कि आने वाले साल में व्यक्ति की सेहत अच्छी रहेगी।
आंवले के पेड़ की पूजा और इसके नीचे भोजन करने की प्रथा की शुरूआत करने वाली माता लक्ष्मी मानी जाती हैं। इस संदर्भ में कथा है कि एक बार माता लक्ष्मी पृथ्वी भ्रमण करने आयीं। रास्ते में भगवान विष्णु एवं शिव की पूजा एक साथ करने की इच्छा हुई। लक्ष्मी मां ने विचार किया कि एक साथ विष्णु एवं शिव की पूजा कैसे हो सकती है। तभी उन्हें ख्याल आया कि तुलसी एवं बेल का गुण एक साथ आंवले में पाया जाता है। तुलसी भगवान विष्णु को प्रिय है और बेल शिव को।
आंवले के वृक्ष को विष्णु और शिव का प्रतीक चिन्ह मानकर मां लक्ष्मी ने आंवले की वृक्ष की पूजा की। पूजा से प्रसन्न होकर विष्णु और शिव प्रकट हुए। लक्ष्मी माता ने आंवले के वृक्ष के नीचे भोजन बनाकर विष्णु और भगवान शिव को भोजन करवाया। इसके बाद स्वयं भोजन किया। जिस दिन यह घटना हुई थी उस दिन कार्तिक शुक्ल नवमी तिथि थी। इसी समय से यह परंपरा चली आ रही है।
क्या है मुहूर्त
नवमीं तिथि 28 अक्टूबर को शाम 4:51 बजे लग जाएगी, जो अगले दिन यानी 29 अक्टूबर को 6:20 बजे तक रहेगा।पूजा का शुभ मुहूर्त 5 घंटे 29 मिनट का है, जो सुबह 6:34 से शुरू होकर 12: 04 तक रहेगा।अक्षय, पुष्प, चंदन आदि से आंवले के पेड़ की पूजा कर उसके चारों ओर कच्चा धागा बांधें और कम से कम सात बार परिक्रमा करें। इस दौरान भगवान विष्णु का ध्यान जरूर करें।
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