अजब गजब

30 साल में 6 बार इस शख्स को निकाला गया नौकरी से, हर बार लड़कर पाया हक

बेंगलुरु। कर्नाटक सिल्क इंडस्ट्रीज कॉर्पोरेशन में काम कर रहे 49 साल के वाईएन कृष्ण मूर्ति की कहानी काफी दिलचस्प है। उन्होंने जितना समय नौकरी करने में बिताया है, उससे ज्यादा समय तक वह कोर्ट-कचहरी के चक्कर काटते रहे हैं। बीते 30 सालों में उन्हें अच्छा प्रदर्शन नहीं करने के आरोप में छह बार नौकरी से निकाल दिया गया।

कोर्ट के आदेश पर उन्हें कॉर्पोरेशन से मुआवजे के साथ ही नौकरी वापस मिलती रही है। हाई कोर्ट ने इस बात पर भी हैरानी जताई कि 25 साल तक मूर्ति प्रोबेशन पर कैसे बने रहे। कोर्ट ने कहा कि हर बार मूर्ति को गलत व्यवहार के लिए नौकरी से निकाला गया। यदि वह योग्य नहीं थे, तो उन्हें उस आधार पर ही निकाला जा सकता था।

कोर्ट ने विभाग की जांच को भी अस्पष्ट बताते हुए कहा कि उसमें प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन हुआ है। इस बार भी कोर्ट ने मूर्ति की नौकरी को बहाल करने का आदेश देने के साथ ही उन्हें नहीं मिली आय का 50 प्रतिशत देने के भी आदेश भी कॉर्पोरेशन को दिए हैं।

इसके अलावा कॉर्पोरेश को 25 हजार रुपए का मुआवजा भी मूर्ति को देने के लिए कहा गया है। कोर्ट ने कहा है कि यदि जरूरी हो तो कॉर्पोरेशन याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई भी विभागीय जांच करा सकता है, लेकिन उसमें न्याय का पालन करना होगा।

एक साल का प्रोबेशन पीरियड बढ़ता ही गया

मूर्ति ने 11 सितबंर 1987 को बतौर असिस्टेंट सेल्स ऑफिसर नौकरी शुरू की थी। उस वक्त कहा गया था कि उनका प्रोबेशन पीरियड एक साल का होगा। मगर, बाद में कॉर्पोरेशन ने कहा कि अच्छा प्रदर्शन नहीं करने के कारण मूर्ति का प्रोबेशन पीरियड मार्च 1994 तक बढ़ा दिया जाए।

उसके बाद कॉर्पोरेशन ने उन्हें नौकरी से निकाल दिया। मूर्ति ने कॉर्पोरेशन के इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट का रुख किया। तीन जजों की बेंच ने 2-1 से फैसला उनके पक्ष में सुनाया और उनकी नौकरी बहाल हो गई।

इसके बाद उन्हें पांच बार और कॉर्पोरेशन की नौकरी से निकाला गया। मगर, हर बार वह कोर्ट की मदद से नौकरी वापस पाने में सफल रहे। हाल ही में 22 सितंबर को एक बार फिर उन्होंने कॉर्पोरेशन के खिलाफ हाई कोर्ट में केस जीता है।

इससे पहले वर्ष 1997 में उन्हें नौकरी से निकाला गया था। इसके खिलाफ उन्होंने कोर्ट में अपील की और साल 2001 में उन्हें वापस नौकरी मिली व कॉर्पोरेशन को 5000 रुपए का मुआवजा भी मूर्ति को देना पड़ा। साल 2005 में एक बार फिर उन्हें कारण बताओ नोटिस दिया गया, जिसके खिलाफ हाई कोर्ट में अपील की और 10,000 रुपए बतौर मुआवजा पाया।

साल 2006 में उन्हें फिर निकाला गया और कोर्ट ने एक बार फिर उन्हें बहाल करने के निर्देश दिए। जुलाई 2012 में उन्हें फिर से बाहर किया गया, तो उन्होंने फिर से हाई कोर्ट का रुख किया।

मूर्ति ने 2013 में हाई कोर्ट के सामने छठी बार याचिका दाखिल की। उसका फैसला 22 सितंबर को उनके पक्ष में आया। मूर्ति ने कोर्ट के सामने कहा है कि उन्हें पीड़ित किया गया है। उन्होंने कहा कि उन्हें गलत आरोपों के चलते नौकरी से निकाला गया है।

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