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1 फरवरी से लागू होगा ई-वे बिल, जानिये क्या है ई-वे

नई दिल्लीः जी.एस.टी. काउंसिल ने 1 फरवरी से ई-वे बिल लागू करने को मंजूरी दे दी है।

ई-वे बिल ट्रांसपोर्टेशन के आधार पर दो तरह से लागू होगा। इंटर स्टेट ई-वे बिल के लिए काउंसिल ने 1 फरवरी 2018 की डेडलाइन तय की है जबकि इंट्रा स्टेट ई-वे बिल के लिए 1 जून 2018 से लागू करने का फैसला किया गया है।

डेडलाइन से पहले 15 जनवरी से ई-वे बिल सिस्टम का ट्रायल रन शुरू होगा। बता दें कि जी.एस.टी. काउंसिल की 24वीं बैठक वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए हुई।

क्या होता है ई-वे बिल
अगर किसी वस्तु का एक राज्य से दूसरे राज्य या फिर राज्य के भीतर मूवमेंट होता है तो सप्लायर को ई-वे बिल जनरेट करना होगा। ई-वे बिल के तहत 50,000 रुपए से अधिक के अमाउंट के प्रोडक्ट की राज्य या राज्य से बाहर ट्रांसपोर्टेशन या डिलीवरी के लिए सरकार को पहले ही ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के जरिए बताना होगा। इसके तहत ई-वे बिल जनरेट करना होगा जो 1 से 15 दिन तक मान्य होगा। यह मान्यता प्रोडक्ट ले जाने की दूरी के आधार पर तय होगा। जैसे 100 किलोमीटर तक की दूरी के लिए 1 दिन का ई-बिल बनेगा, जबकि 1,000 किलोमीटर से अधिक की दूरी के लिए 15 दिन का ई-बिल बनेगा।

ये प्रोडक्ट ई-वे बिल से हैं बाहर
ई-वे बिल को रजिस्टर सप्लायर, बायर और ट्रांसपोटर्स जनरेट करेगा। कॉन्ट्रासेप्टिव, ज्युडिशियल और नॉन ज्युडिशियल स्टैंप पेपर, न्यूजपेपर, ज्वैलरी, खादी, रॉ सिल्क, इंडियन फ्लैग, ह्युमन हेयर, काजल, दिये, चेक, म्युनसिपल वेस्ट, पूजा सामग्री, एलपीजी, किरोसिन, हीटिंग एड्स और करेंसी को ई-वे बिल से बाहर रखा गया है।

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