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IRCTC की साइट चाइनीज वायरलेस राउटर से हैक !

रायपुर। चाइनीज उपकरणों की मदद से देश की अर्थ व्यवस्था को कमजोर करने से लेकर रेलवे की साइट को हैक करने का काम हैकरों द्वारा किया जा रहा है। विभिन्न राज्यों में उनका जाल फैला है। आरपीएफ की माने तो हैकर इतने माहिर है कि रेलवे की फूलप्रूफ साइट की हर तकनीकी को कैफे संचालकों की मदद से मात देने का काम कर रहे हैं। बीते दिनों दुर्ग में पकड़े गए एक टिकट दलाल के पास से चाइनीज उपकरण बरामद हुआ ।

पूछताछ के दौरान हैकर ने कबूला, कैसे आसानी से साइट खुलने के मात्र 10 मिनट में मनचाहे कंफर्म टिकट बनाए जा सकते हैं। वायरलेस राउटर के जरिए साइट से कनेक्ट कर दिया जाता है, इसके सुबह 10 बजे खुलने से महज कुछ मिनट पूर्व सभी डाटा को एक साफ्टवेयर में लोड कर लिया जाता है। इसके बाद कम्प्यूटर के जरिए फेक आईडी को अपलोड कर जस्र्रत के हिसाब से कंफर्म टिकट बनाने में कामयाब हो जाते हैं।

कैफे की भी बनाते हैं फर्जी आईडी

आरपीएफ की माने तो आईआरसीटीसी से रजिस्टर्ड कैफे की भी फर्जी आईडी बनाकर साइट को कुछ मिनट के लिए हैक करते हैं, इससे आईआरटीसी को भनक नहीं लग पाती है। क्योंकि खुलने के 3 मिनट में रायपुर ही नहीं बल्कि पूरे रेलवे मंडल के कंफर्म टिकटों के डाटा को हैक कर लेते हैं।

फूलप्रूप का दावा फेल

रेलवे अफसर साइट के फूलप्रूप होने का दावा करते नहीं थकते। इर, बीच एक माह में दो ऐसे केस सामने आए इसके बावजूद आईआरटीसी की साइट को अपग्रेड करने की जहमत नहीं उठाई गई, क्योंकि अफसर इस बात को मानने को तैयार ही नहीं है कि इसे हैक किया जा सकता है। लेकिन आरपीएफ की अपरा गुप्त शाखा की कार्रवाई और रिपोर्ट के आार पर हैक से रोकने कोई पहल नहीं होती दिख रही है।

एक्सपर्ट नहीं होने से पेंच फंसा

दुर्ग और भिलाई में टिकट दलालों के पास बरामद हुए उपकरणों के परीक्षण कराने और उनके हैक करने के तरीकों को जानने के लिए रेलवे विभाग ने एक्सपर्ट ही नियुक्त नहीं कर पाया। जबकि आरपीएफ के अफसरों के मुताबिक टिकट दलालों पर कार्रवाई और उनके उपकरणों के बरामद के बाद उनकी उपयोगिता के बारे में खुद के स्तर से जानकारी हासिल करने का प्रयास करते हैं।

ऐसे काम करता है वायरलेस राउटर

वायरलेस राउटर एक हार्डवेयर डिवाइस है जो की इनकमिंग नेटवर्क पैकेट्स को रिसीव करने के बाद एनालाइज करके दूसरे नेटवर्क में फारवर्ड करते हैं। अगर हम इंटरनेट के केस में राउटर बात करते हैं तो राउटर पैकेट्स को एनालाइज करके नेक्स्ट नेटवर्क प्वाइंट का पता लगा कर पैकेट्स को डेस्टिनेशन पर फॉरवर्ड करता है। इससे सभी डाटा आसानी से मिल जाते हैं।

इनका कहना है

अभी एक्सपर्ट से जांच कराई जाएगी। वायरलेस राउटर से आईआरटीसी की साइट में सेंमारी हो रही है। साइट खुलने के कुछ मिनट पूर्व साइट हैक करने के बाद कंफर्म ई-टिकट बनाने का खेल चल रहा है।

आरके राय, कमांडेंट, आरपीएफ

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