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हौसले से परास्त विकलांगता, जनिये क्या है व्रद्ध की पूरी कहानी

बरही, (आनंद सराफ) । दोनों पैर नही, फिर भी ऑटो चला रहा 60 वर्षीय राजेन्द्र विकलांगता को परास्त कर उन लोगों के लिये मिशाल है जो किसी भी अक्षमता को कारण बता कर काम करने से बचते हैं।

 

विकलांगता किसी की मोहताज नही होती है, यह बात साबित कर रहे है 60 वर्षीय राजेन्द्र उपाध्याय, जिनके दोनों पैर न होते हुए भी वे जीवन को बिंदास तरीके से जी रहे है।

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जी हां कटनी जिले के बरही तहसील अंतर्गत ग्राम बगैहा निवासी राजेन्द्र का एक पैर 17 वर्ष पूर्व कट गया था, उनका दूसरा पैर भी एक साल पूर्व कट चुका है, लेकिन राजेन्द्र ने हिम्मत नही हारी।

 

वे ऑटो चला रहे है। हर दिन ऑटो में सवारी भरकर सुबह बरही पहुँच जाते है और यह सिलसिला जारी है। राजेन्द्र बताते है कि पेशे से वे किसान है, 17 वर्ष पूर्व खेत मे काम करते समय उनके दाहिने पैर में लकड़ी गिर गई थी, जिसके बाद पैर कटवाना पड़ा था।  पिछले 3 साल से वे ऑटो चला रहे है।  गत वर्ष ऑटो पलट जाने से उनका बायां पैर भी क्षतिग्रस्त हुआ, जिसे कटवाना पड़ा। अब उनके दोनों पैर नही है, फिर भी वे अपने जीवन की गाड़ी पूरे हौसले के साथ आगे बढ़ा रहे हैं।

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उनकी विकलांगता उनके जीवन जीने की उम्मीद पर बाधा नही बन पाई। दाहिने हिस्से में राजेंद्र ने आर्टिफिशियल पैर बनवा लिया है, जिसके सहारे उनके जीवन की गाड़ी रेलमपेल चल रही है। ऑटो चालक के रूप में वे अपने जीवन को खुशी-खुशी आगे बढ़ा रहे है।

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